बिन आग के तू आग लगा देती

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बिन आग के तुम आग लगा देती |
बिन पानी के तुम इसे बुझा देती ||

सीखा है कहाँ से तुमने ये हूनर |
मुझको भी जरा तुम सिखा देती ||

लग जाती तन बदन में आग पहले |
अगर पहले तुम्हे दीदार दिखा देती ||

लग जाती अगर आग दीदार दिखाने से |
तुम आईने में पहले आग लगा देती ||

कहते हो बात आईने में आग लगाने की |
मै तो बहते पानी में भी आग लगा देती ||

कर लेते दीदार तुम पानी बहने से पहले |
मै तो तुम्हे पहले ही पानी पानी कर देती || 

रस्तोगी कहता है ये बहस बंद करो तुम |
ये रिश्ता ऐसा है,कुदरत पहले बना देती ||

आर के रस्तोगी 
गुडगाँव (हरियाणा) 
मो 9971006425  
  

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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