मरते दम तक तुम याद आओगे मुझको

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वादा किया था मेरे ख्वाबों में आया करो।
इस तरह से मुझे तुम कभी न सताया करो।
फुर्सत नही थी तुम मुझे साफ मना कर देते।
मेरे जख्मों पर नमक इस तरह लगाया न करो।।

वादा करके जल्दी ही तुम मुकर जाते हो।
पता नही मुझे तुम अब किधर जाते हो।
क्या कोई दूसरा घर देख लिया है तुमने।
मुझे बर्बाद करके उसके घर क्यो जाते हो।।

दिन रात राह तुम्हारी तकती हूं मै।
न कुछ खाती पीती न सोती हूं मै।
भले ही मेरे पास आकर चले जाना।
न रोकूंगी तुमको वादा करती हूं मै।।

दिल दिया था तुमने,तो दिल दिया था मैंने।
बात कोई न छिपाई तुमसे आज तक मैंने।
फिर हर बात क्यों छिपाते हो तुम मुझसे।
दिल देकर तुमको क्या कसूर किया था मैंने।।

मोहब्बत के बदले नफरत दी है तुमने।
हर बात में अपनी चलाई हैं तुमने।
ऐसे हालात में अब क्या करू मैं।
ये कैसी उल्टी रीति चलाई है तुमने।।

दुखी बहुत हूं आकर जहर दे दो मुझको।
अपने हाथ से कफ़न उढ़ा दो तुम मुझको।।
इस तरह से तुम्हारे रास्ते से मै हट जाऊंगी।
मरते दम तक तुम याद आओगे मुझको।।

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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