जहाँपनाह, अभी ही सोच लीजिए, चुनाव दोबारा आएँगे!

राजधानीवासी बड़ी बेसब्री से दिल्ली मैट्रो ट्रेन (Delhi Metro) के बाकी बचे चरणों का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन इस बेसब्री की वजह केवल मैट्रो का आसान और समय बचाने वाला सफर ही नहीं बल्कि उससे सड़कों पर पड़ने वाले वाहनों की भारी संख्या के दबाव का कम होना भी है जिससे मैट्रो के रूट पर पड़ने वाली सभी सड़कों को कुछ वाहनों से तो राहत मिलेगी, परिणामस्वरूप सड़कों पर लगने वाले ट्रैफिक जाम (Traffic Jam) से भी जनता को निजात मिलेगी।

किन्तु, क्या सड़कों के जाम से मिली ये राहत स्थाई होगी?

जी नहीं, मैट्रो के समानान्तर रूटों पर ये जाम कुछ ही समय बाद दोबारा लगेगा और एक बार फिर से किसी चौराहे, फ्लाईओवर या कट को पार करने में अभी ही की तरह घंटों का समय लगेगा। और, जिस तरह भयंकर जाम आज दिल्लीवासियों के सर का दर्द बने हुए हैं उसी प्रकार के जाम मैट्रो रेल सेवा (Metro Train Service) शुरु हो जाने के बाद भी बनेंगे। “हमारे आज के राजनेताओं में दूरदर्शिता की कमी है” – ये बात तो अब सारा जहान जानता है। आपने जब इन फ्लाईओवरों का निर्माण किया तब नहीं सोचा कि महानगर होने के कारण दिल्ली में भीड़ बढ़ना स्वाभाविक है। अजी जनाब सोचते भी कैसे – बच्चा आपका होता तो आप सोचते भी! ये तो गोद-लिया हुआ बच्चा था।

यदि आज आप मैडिकल (AIIMS) और धौलाकुआँ (Dhaula Kuan) जैसे फ्लाईओवर बना सकते हैं तो पहले क्यों नहीं बनाए गए। लेकिन फिर भी चलो जो हो गया सो हो गया, अब तो आगे की सोचिए हुज़ूर! जनता के सिर का दर्द बने इन टू-वे फ्लाईओवरों को बिना ढहाए अभी भी इन्हें चारों ओर के लिए फ्री-वे में बदला जा सकता है। इसके लिए जरूरत किसी आर्किटैक्ट की नहीं बल्कि सच्चे मन से प्रजा की भलाई चाहने की है।

हमारी जनता बड़ी भोली है और अगर समय रहते आप ने अपनी गल्तियाँ सुधार लीं तो हमारी भोली-भाली दिल्ली की जनता सारे शिक़वे-शिकायतें भूलकर अगली बार भी आप ही को वोट देगी। लेकिन जरा जल्दी कीजिए सरकार! चुनाव आने में अब बस 2-3 साल ही बचे हैं, कहीं ऐसा ना हो कि आप भी सचिन तेंदुलकर की तरह लगातार कीर्तिमान तोड़ने की उपलब्धि हासिल करने से महरूम रह जाएँ, हफ्फ्फ… मेरे सरकार! और हाँ! अगले विधानसभा चुनाव आने से कम से कम 6 महीने पहले अपने सारे भले काम पूरे कर लीजिए, क्योंकि जनता को अपने साढ़े चार साल के दुःख-दर्द और कष्ट भुलाने में कम से कम छः महीने तो लगेंगे ही।

याद कीजिए पिछले एसैम्बली इलैक्शन 2008 से पहले भी ऐसा ही हुआ था। आपने 2003 में सत्ता हासिल करके बहुत बवाल मचवाया। भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) के शासन में चालु हुई विकास योजनाओं (Development Plans) जिन में मुख्य थीं – राजधानी में फ्लाईओवरों (Flyovers in Capital) का निर्माण और दिल्ली मैट्रो रेल सेवा का विस्तार। इन सभी योजनाओं को आपने ज्यों का त्यों चालू रखा, खूब वाहवही भी लूटीं तो चुल्हे की लकड़ियाँ भी बटोरीं। इसी बीच आपने अपनी तानाशाही शुरु करवा दी और चलवा दिया दिल्ली के दुकानदारों पर सीलींग का चाबुक। चलो, किसी तरह मामला रफा-दफा हुआ। कुछ ही लोग बरबाद और कुछ बेरोज़गार हुए बाकी ने तो नए-नवेले शॉपिंग-मॉल्स् (Shopping Malls) से सात पीढ़ियों का हिसाब-किताब पूरा कर लिया। उसके बाद बिजली-पानी-गैस-टैक्स-वैट (Electricity-Water-Fuel-Tax-VAT) आदि से आपने सरकार के खाली भंडारों को भरा।

इस बीच एक अजीब घटना हुई – आपके ही संरक्षण से पैदा हुई प्राइवेट ब्लू-लाइन (Blue-Line Bus) माफिया की बसों ने न जाने कितने ही निरीह लोगों को अपनी बेलग़ाम स्पीड का शिकार बना डाला। तो कुल मिला कर आपके साय में बर्बाद हुए लोगों की कमी नहीं। फिर भी, लोगों ने आपके विकास के काम को देखते हुए आपको फिर से सत्ता पर काबिज़ कर दिया। अब तो दो साल बस बीत ही चुके हैं और अपनी गल्तियाँ सुधारने के लिए आपके पास अब बचे हैं बस् 3 साल!

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