कांग्रेस की राजनीति

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कांग्रेस आजकल बहुत मेहनत कर रही है ,दो साल पहले तय हुआ की अब वही पार्टी में पदाधिकारी होगा जो ज्यादा सदस्यता करेगा .उनपर फोटो लगाना अनिवार्य होगा .सबकी मौके पर छानबीन होगी .फिर तय हुआ की फोटो नहीं है तों अब लगा दो .फिर तय हुआ की अब सदस्यता की छान बीन होगी |जिनको छान बीन की जिम्मेदारी दी गयी उन्होंने सोचा कि गाव गाव घूमे इसलिए तय करवा दिया कि सबकी सदस्यता सही मान ली जाय क्योकि सबकी ९० % नकली है .जाने पर कोई मिलेगा ही नहीं .ऐसा भी हो गया की किसी नेता ने अपने चमचे को किताबे भरने को दिया तों वह चूँकि किसी को जानता ही नहीं था अतः वोटर लिस्ट में से पार्टी के एक पूर्व मंत्री और एक पूर्व सांसद का भी नाम भर कर उनके फार्म पर किसी का फोटो चिपका दिया और ब्योरे में उन्हें मजदूर लिख दिया .ऐसे में एक दूसरे की ढकने की शुरू हो गई मौसेरे भाइयो में .फिर फरमान जारी हुआ की जिन लोगो को पार्टी में आये तीन वर्ष नहीं हुए ये अभी घर बैठे उनके लिए पार्टी में कोई काम नहीं है ,वे बूथ के चपरासी बनाने लायक भी नहीं है ,अभी वही सूरमा सब काम सम्हालेंगे जो विधानसभा चुनाव में ३०० से ३००० वोट लाये थे और लोकसभा इस बार वाली छोड़कर जिसमे बेनी प्रसाद वर्मा से लेकर राजबब्बर तक तमाम लोग पार्टी में उसी समय आये और मोहम्मद आजम खान ने सपा से विद्रोह कर अंदरखाने कांग्रेस का साथ दिया, बाकी में कुछ हजारो में सिमट गए थे .चुनाव का रिजल्ट देखे तों पता चलता है की ४,५ सीटो को छोड़कर पार्टी सब उन्ही सीटो पर जीती जहा मुस्लमान [आजम के प्रभाव वाला ]और वर्मा जी के प्रभाव वाले कुर्मी वोट की बहुतायत थी .दुमार्रियागंज और उसके बाद के चुनावो ने हकीकत बयान कर दिया .कुछ नेताओ ने आजम को श्रेय ना मिल जाये इसके लिए रामपुर की हार का जिक्र जरूरी समझा लेकिन ये भूल गए की रामपुर में कल्याण सिंह के साथ साथ तमाम पूंजीवादी ताकते लगी थी और फिर गाजियाबाद और रामपुर के बीच भा जा पा तथा सपा का अंदरूनी गठजोड़ जिसके कारण रामपुर में आजतक का सबसे कम वोट मिला और रामपुर में चुपचाप तमाशा देखने के एवज में वहा के प्रत्याशी को राज्यसभा मिल गई .खैर कांग्रेस में बहुत मेहनत हो रही है ,खूब कागज रंगे जा रहे है ,छोटे छोटे पदों के लिए इतना दौड़ा दिया जा रहा है की बाद में कोई चलने लायक भी नहीं रह जाये ,इतना पै सा खर्च हो जा रहा है की बाद में उसकी भरपाई की चिंता सताने लगे .अच्छा तों यह होता की किसी को पार्टी में लेने से पहले ही बता दिया जाता की इतने वर्षो तक उसे चपरासी भी नहीं बनाया जायेगा .ईमानदारी तों ये थी की यदि चुनाव में भाग लेने से रोक देना था तों उन लोगो से केवल सक्रिय सदस्यता लायक ही सदस्यता करवाई जाती.ये आर ओ ,बी आर ओ और ना जाने कितने आर ओ के बाद भी अंत में वे सब भी पद पाएंगे जिन्होंने एक भी सदस्य नहीं बनाया है और वही सब बनेंगे जो बनते रहे है या जिनकी लोबी है गौद्फादर है .यह उस बन्दर जैसा कारनामा है जो जंगल का प्रधान बनाए जाने पर शेर के खिलाफ इंसाफ मांगने पर घंटो डालियों पर कूदता रहा और अंत में बोला की मेरी मेहनत में तों कोई कमी नहीं है ,इससे अधिक मै क्या कर सकता हूँ .वही मेहनत आजकल कम से कम उत्तर प्रदेश कांग्रेस में तों हो ही रही है . राजनीति में रूचि रखने वाले देख रहे है की जब गाव से लेकर जिले तक के चुनाव सर पर है और विधान सभा भी कभी भी सकती है तों कांग्रेस ये कर क्या रही है ,अपने ही लोगो में इतना झगडा क्यों पैदा कर रही है ,इस निरर्थक और फर्जी प्रक्रिया से पार्टी कैसे मजबूत होगी .लेकिन ये सब बड़ी शिद्दत से हो रहा है .देखे २०१२ में क्या होता है क्योकि ऐसा लगता है की कांग्रेस में ही कुछ ऐसे महत्वपूर्ण लोग है जो उत्तर प्रदेश में पार्टी को मजबूत नहीं होने देना चाहते है ,कुछ ऐसे लोग तों बहुत महत्वपूर्ण है जो सिर्फ अपनी सीट बचाने के लिए जिससे वे हाईकमान को बता सके की वे अजेय नेता है अंदरखाने दूसरे दलों को कई सीटे जिताने का जतन करते रहते है .ये पूर्ण सत्य है की वे अपनी पार्टी के स्थान पर अन्य दल जो भी सत्ता में रहते है उनके ज्यादा करीब रहते है .हाईकमान को ये देखना होगा की ऐसे आस्तीन के सांप ज्यादा खतरनाक है दल के लिए या नाराजगी के कारण कुछ दिनों बाहर रहे लोग .सपा और बसपा की कारिस्तानी से नाराज तथा भाजपा को नापसंद करने वाले बहुत से महत्वपूर्ण लोग कांग्रेस की मजबूती चाहते है और इसमें योगदान देना चाहते है लेकिन दल के भीटर छुपे स्वर्थी दुश्मन राहुल गाँधी के सपने को पलीता लगाने पर उतारू है क्योकि वे तभी तक मजबूत है जब तक उत्तर प्रदेश में पार्टी कमजोर है .जिस दिन यहाँ राहुल जी ने सरकार बना लिया, बिहार में मजबूत कर दिया ,इन स्थानों से १०० के करीब सांसद जीतने लगे ,तों इसका असर आसपास के प्रदेशो और पूरे देश पर पड़ेगा .कांग्रेस पहले वाली कांग्रेस हो जाएगी तों किसी भी तरह पार्टी पर हावी रहना और सत्ता में बने रहना इन लोगो के लिए मुश्किल हो जायेगा .इस काकस ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है की इनके मन के खिलाफ बात करने वाला कोई सोनिया जी और राहुलजी से मिल ही ना पाए .पार्टी का स्वरुप इन लोगो ने ऐसा बना रखा है की प्रेस क्लब में एक चुटकला सुनने को मिला की [किसी ने सी पी से पूछा की २+२ क्या होता है .सी पी ने कह की ४ होता है पर अपनी परंपरा के अनुसार मै वर्किंग कमेटी बुला लू तभी बता सकती हूँ या हमारे प्रवक्ता बता देंगे .वर्किंग कमेटी बुलाया की क्या जवाब दिया जाये ,वर्किंग कमेटी ने सुझाव दिया की लोकतंत्र का तकाजा है की ब्लाक से लेकर पी सी सी और फिर ऐ आइ सी सी का सत्र बुला कर पूछ लिया जाये तब जवाब दिया जाये . सी पी ने कहा की मै बता देना चाहती हूँ की चार होता है ,जब हमें पता है तों इतनी कसरत क्यों ?काकस ने कहा की लोकतंत्र की रक्षा भी होगी ,परंपरा भी है यही ही ठीक रहेगा .प्रक्रिया पूरी होई नीचे से ऊपर तक सभी ने प्रस्ताव कर दिया की जवाब सी पी पर छोड़ दिया जाये .यह सब पूरा करने में लगे वर्षो के बाद सी पी ने पूछने वाले को जवाब देने के लिए बुलाया तों पता चला की वो तों तीन वर्ष पहले ही गुजर गया ] आज कल के फैसलों में भी दिख रहा है कि सब हो रहा है पर तब हो रहा है जब बहुत नुकसान हो जा रहा है ,अनिर्णय कांग्रेस कि सबसे बड़ी कमजोरी है कोई कमजोरी ही तो है की प्रमुख लोगो के पूर्ण इमानदार होने पर भी घोटालों की फेहरिस्त छोटा होने का नाम ही नहीं ले रही है ,पता नहीं कितने और भविष्य के गर्भ में है |संगठन में वे लोग लिए जाते है जो जमीन पर नहीं जाते और सरकार में शामिल लोग नीचे का रास्ता भूल केवल दिल्ली के होकर रह जाते है |पर कांग्रेस में लोग पूरी मेहनत कर रहे है की कोई बड़ा और मजबूत नेता पार्टी में आ ना जाये और उत्तर प्रदेश तथा बिहार जैसे प्रदेशो में पार्टी मजबूत न हो जाये .राहुल जी राजनीति बदलने का काम कर ना सके किसी भी हालात में वरना ये लोग क्या करेंगे .देखना दिलचस्प होगा की मिशन २०१२ का क्या होता है और ये नेता कब तक राहुलजी को उनके रास्ते पर चलने देते है या अपने अस्तित्व पर खतरा देख उनके साथ भी वही करते जो राजीवजी के साथ किया था .उनपर तों बोफोर्स मढ़ा था इनपर क्या मढ़ते है .पर भारत आज के राहुल जी के साथ है ,पाँच प्रदेशो के बाद राहुल के उत्तर प्रदेश का चुनाव राहुल जी और सोनिया जी के नेतृत्व कि परीक्षा होगा ,बाकी सारे दल चुनाव आज मान कर काम में लग गए है और उत्तर प्रदेश कोंग्रेस और उसकी जिला कमेटियां अभी तक घोषित नहीं हो पाई है ,कोई ऐसा काम नहीं हो रहा है कि लगे कि कोई मिशन २०१२ है राहुल जी का सपना |कोई महाभ्र्स्ट सत्ता को हटाने का इरादा है ,कोई इस सरकार के खिलाफ गुस्सा है ,कोई रणनीति है ,कोई संघर्ष का कर्यक्रम है ,कोई ऐसा कार्यक्रम है जिसमे गंभीरता हो, इरादे कि मजबूती हो ,बस सब गोलमाल है केवल हाजिरी और जी हजूरी जिंदाबाद |भारत सहित उत्तर प्रदेश भी बहुत उम्मीद से सोनिया जी और राहुल जी कि तरफ देख रहा है .भारत को क़ुरबानी देने वाली सोनिया जी पर भी पूरा भरोसा है .यदि ये दोनों मजबूती से और बिना देरी के फैसले लेते रहे तथा खिड़की खोल कर अन्दर भरी वो हवा जो बदबूदार हो चुकी है उससे मुक्ति पाते हुए ताजी को अन्दर आने दे सुरक्षा का ध्यान रखते हुए तों भारत इनके साथ मजबूती से खड़ा रहेगा, नई सुबह के लिए नए , राजनीतिक एजेंडे के लिए ,गौरवशाली और मजबूत भारत बनाने के लिए .भारत देख रहा है राहुलजी के सपनो,सोनिया जी के मजबूत इरादों और लगातार फरेब करके वालो की चालों के युद्ध को .

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डॉ. सी. पी. राय
एम् ए [राजनीति शास्त्र], एल एल बी ,पी जी डिप [समूह संचार]। एम एड, पी एच डी [शिक्षा शास्त्र] पी एच डी [राजनीति शास्त्र]। संसदीय पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित। पूर्व राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश। अध्यापक ,गाँधी अध्ययन। डॉ बी आर आंबेडकर विश्व विधालय आगरा। १- "संसद और विपक्ष " नामक मेरी प्रकाशित शोध पुस्तक को संसदीय पुस्तक पुरस्कार मिल चुका है। २-यादो के आईने में डॉ. लोहिया भी एक प्रयास था। ३-अनुसन्धान परिचय में मेरा बहुत थोडा योगदान है। ४-कविताओ कि पहली पुस्तक प्रकाशित हो रही है। ५-छात्र जीवन से ही लगातार तमाम पत्र और पत्रिकाओ में लगातार लेख और कवितायेँ प्रकाशित होती रही है। कविता के मंचो पर भी एक समय तक दखल था, जो व्यस्तता के कारण फ़िलहाल छूटा है। मेरी बात - कविताएं लिखना और सुनना तथा सुनाना और तात्कालिक विषयों पर कलम चलाना, सामाजिक विसंगतियों पर कलम और कर्म से जूझते रहना ही मेरा काम है। किसी को पत्थर कि तरह लगे या फूल कि तरह पर मै तों कलम को हथियार बना कर लड़ता ही रहूँगा और जो देश और समाज के हित में लगेगा वो सब करता रहूँगा। किसी को खुश करना ?नही मुझे नही लगता है कि यह जरूरी है कि सब आप से खुश ही रहे। हां मै गन्दगी साफ करने निकला हूँ तों मुझे अपने हाथ तों गंदे करने ही होंगे और हाथ क्या कभी कभी सफाई के दौरान गन्दगी चेहरे पर भी आ जाती है और सर पर भी। पर इससे क्या डरना। रास्ता कंटकपूर्ण है लेकिन चलना तों पड़ेगा और मै चल रहा हूँ धीरे धीरे। लोग जुड़ते जायेंगे, काफिला बनता जायेगा और एक दिन जीत सफाई चाहने वालो कि ही होगी।

2 COMMENTS

  1. आपके विचोरों से सहमत नहीं, पूरा देश सोनिया गाँधी या राहुल गांधी की तरफ नहीं देख रहा है, उनसे ज्यादा उम्मीदे तो देश के अधिसंख्य लोगों को बाबा रामदेव से हैं भले वे पूरी हो ना हो. कांग्रेस कितना भी परिश्रम कर ले कांग्रेस का सफाया होना लगभग तय है. दुर्भाग्य से भाजपा से भी लोगों का विश्वास उठता जा रहा है.

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