भ्रष्टाचार में डूबा भारत

-सतीश मिश्रा- corruption

2005 में भारत में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल नामक एक संस्था द्वारा किये गये एक अध्ययन में पाया गया कि 62% से
अधिक भारतवासियों को सरकारी कार्यालयों में अपना काम करवाने के लिये रिश्वत या ऊंचे दर्ज़े के प्रभाव का प्रयोग
करना पड़ा। वर्ष 2008 में पेश की गयी इसी संस्था की रिपोर्ट ने बताया है कि भारत में लगभग 20 करोड़ की रिश्वत
अलग-अलग लोकसेवकों को (जिसमें न्यायिक सेवा के लोग भी शामिल हैं) दी जाती है। उन्हीं का यह निष्कर्ष है कि
भारत में पुलिस और कर एकत्र करने वाले विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है। आज यह कटु सत्य है कि किसी भी
शहर के नगर निगम में रिश्वत दिये बगैर कोई मकान बनाने की अनुमति नहीं मिलती। इसी प्रकार सामान्य व्यक्ति भी
यह मानकर चलता है कि किसी भी सरकारी महकमे में पैसा दिये बगैर गाड़ी नहीं चलती। भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट +
आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह
आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार : भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है।
आज भारत देश में भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़ें तेजी से फैल रही हैं। यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया
तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव अत्यंत व्यापक है।जीवन का कोई भी क्षेत्र इसके प्रभाव
से मुक्त नहीं है। यदि हम इस वर्ष की ही बात करें तो ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं जो कि भ्रष्टाचार के बढ़ते प्रभाव को
दर्शाते हैं। जैसे आईपील में खिलाड़ियों की स्पॉट फिक्सिंग, नौकरियों में अच्छी पोस्ट पाने की लालसा में कई लोग
रिश्वत देने से भी नहीं चूकते हैं। आज भारत का हर तबका इस बीमारी से ग्रस्त है। आज भारत में ऐसे कई व्यक्ति
मौजूद हैं जो भ्रष्टाचारी है। आज पूरी दुनिया में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप
है जैसे रिश्वत, काला-बाजारी, जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महंगा बेचना
आदि।भ्रष्टाचार के कारण : भ्रष्टाचार के कई कारण है। असंतोष – जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह
भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है।जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने
स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भारत जैसे सोने की
चिड़िया कहलाने वाले देश में भ्रष्टाचार अपनी जड़े फैला रहा है। अत: यह बेहद ही आवश्यक है कि हम भ्रष्टाचार के इस
जहरीले सांप को कुचल डालें। साथ ही सरकार को भी भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। जिससे
हम एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को सच कर सकें। भ्रष्टाचार पिछड़ेपन का द्योतक है। भ्रष्टाचार का बोलबाला यह
दर्शाता है कि जिसे जो करना है, वह कुछ ले-देकर अपना काम चला लेता है और लोगों को कानों-कान खबर तक नहीं
होती। और अगर होती भी हो तो यहाँ हर व्यक्ति खरीदे जाने के लिए तैयार है। गवाहों का उलट जाना, जांचों का
अनन्तकाल तक चलते रहना, सत्य को सामने न आने देना – ये सब एक पिछड़े समाज के अति दुखदायी पहलू हैं।
किसी को निर्णय लेने का अधिकार मिलता है तो वह एक या दूसरे पक्ष में निर्णय ले सकता है। यह उसका
विवेकाधिकार है और एक सफल लोकतन्त्र का लक्षण भी है। परन्तु जब यह विवेकाधिकार वस्तुपरक न होकर दूसरे
कारणों के आधार पर इस्तेमाल किया जाता है तब यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में आ जाता है अथवा इसे करने वाला व्यक्ति
भ्रष्ट कहलाता है। किसी निर्णय को जब कोई शासकीय अधिकारी धन पर अथवा अन्य किसी लालच के कारण करता है
तो वह भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में हाल ही के वर्षों में जागरुकता बहुत बढ़ी है। जिसके कारण भ्रष्टाचार
विरोधी अधिनियम -1988, सिटीजन चार्टर, सूचना का अधिकार अधिनियम – 2005, कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट
आदि बनाने के लिये भारत सरकार बाध्य हुई है।

भारत के प्रमुख आर्थिक घोटालो के कुछ अंशः

बोफोर्स घोटाला – 64 करोड़ रुपये 2.यूरिया घोटाला – 133 करोड़ रुपये 3. चारा घोटाला – 950 करोड़ रुपये 4.
शेयर बाजार घोटाला – 4000 करोड़ रुपये 5. सत्यम घोटाला – 7000 करोड़ रुपये 5. स्टैंप पेपर घोटाला – 43
हजार करोड़ रुपये 6. कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला – 70 हजार करोड़ रुपये 7. 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला – 1 लाख 67
हजार करोड़ रुपये 8.अनाज घोटाला – 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)9. कोयला खदान आवंटन घोटाला – 192
लाख करोड़ रुपये

सेना में भ्रष्टाचार के कुछ प्रमुख अंशः
बोफोर्स घोटाला, सुकना जमीन घोटाला, अगस्ता वेस्टलैंड हैलीकॉप्टर घोटाला, टैट्रा ट्रक घोटाला, आदर्श सोसायटी
घोटाला, कारगिल ताबूत घोटाला, जीप घोटाला

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