म.प्र. में भाजपा सत्ता में है किंतु विपक्ष में कौन?

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श्रीराम तिवारी

कांग्रेस के ८३ वें अखिल भारतीय अधिवेशन-बुराड़ी के हीरो-राघवगढ़ नरेश, राजा दिग्विजय सिंह जी को मालूम हो कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हालत बेहद शर्मनाक है. भारतीय लोकतंत्र और भारतीय गंगा जमुनी संस्कृति के लिए आपकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता और विचारिक संघर्ष काबिले तारीफ हो सकती हैं, किन्तु आप राष्ट्रीय नेता की हैसियत बनाये रखने के चक्कर में अपनी स्थापित जड़ों में मठ्ठा डालने वालों पर अभी भी विजय हासिल नहीं कर सके हैं व्यवहार में यही द्रष्टव्य हो रहा है.

भाजपा और संघ की युति के समीकरण मध्यप्रदेश के संदर्भ में शेष भारत यहाँ तक कि गुजरात से भी अलहदा हैं. यहाँ शिवराज सरकार ने पूंजीपतियों को पांच लाख एकड़ जमीन कौड़ी मोल उपलब्ध कराई किन्तु कांग्रेस की प्रदेश इकाई या प्रदेश की ज़िला इकाइयों ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया. यदि यहाँ कांग्रेस कि सरकार होती और भाजपा विपक्ष में तो मध्प्रदेश कि भाजपा ने जमीन आसमा एक कर दिया होता. हाथ कंगन को आर सी क्या? विगत ६ माह में भाजपा का हर क्षेत्र में स्खलन हुआ है किन्तु यह राजनैतिक चातुर्य ही है कि अपनी सरकार की असफलताओं पर अपने ही अनुषंगी संगठनों द्वारा जनांदोलन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने लगातार शिवराज सरकार को घेरा है.

विगत जुलाई से नबम्बर २०१० तक छात्रों की समस्याओं को अखिल भारतीय विद्द्यार्थी परिषद ने लगातार आक्रामक आंदोलनों के माध्यम से प्रदेश की भाजपा नीत शिवराज सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की. प्रश्न ये है कि एनएसयूआई क्या कर रही है? कभी कभार छात्र संघ के पदाधिकारियों के नाम भले ही इस या उस विज्ञप्ति में देखने में आये हैं. किन्तु जब तक एनएसयूआई संघर्ष का प्रोग्राम बनता है, विद्यार्थी परिषद् मैदान मार लेती है.

वामपंथी छात्र संघों की लड़ाकू क्षमता भी मध्य प्रदेश के सन्दर्भ में निराशाजनक है, कई जगह पर तो शाखाएं भी नदारद हैं. जहाँ हैं वे संवैधानिक तौर तरीके से न्यूनाधिक भी नहीं चल पा रहीं हैं. केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त राशि से बनाये जा रहे सुपर कारीडोर, जेएनयू प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्गों की दुर्दशा देखकर किसी भी बाह्य आगंतुक का मध्य प्रदेश में ह्रदय खिन्न हो जाना स्वभाविक है किन्तु युवक कांग्रेस कहाँ है? बड़ी कांग्रेस अर्थात् पीसीसी कहाँ है ?

इधर भोपाल के समिधा भवन जाकर देखिये दिग्विजय सिंहजी इसे कहते हैं खांटी चाणक्य नीति.

अभी कल परसों २१-२२ दिसंबर २०१० को अभिनीत नाटक के नेपथ्य में वही हैं जिन्हें आप हिदुत्व कट्टरतावाद के नाम पर घेरने की असफल कोशिश कर रहे हैं.

जिन २ लाख किसानों ने पूरे ४८ घंटे तक भोपाल को बंधक बना रखा था, वे सभी संघ के नेताओं की गुजारिश और सरकार की सहमति से ही आये थे. इस नूरा कुश्ती का वही परिणाम हुआ जिसकी आशंका थी, अर्थात संघ के दरवार में दोनों आनुषांगिक-भाजपा सरकार और तथाकथित आन्दोलनकर्ता किसान संगथन को सुलह सफाई के बहाने रूबरू कराया गया और मीडिया जो की भाजपा का भोंपू बन चुका है-उसके मार्फ़त ढिंढोरा पिटवाया कि लो भाजपा के लोगों ने किसानों की समस्या के लिए संघर्ष किया और शिवराज सरकारने किसानों को कितना सारा दे दिया? माला माल कर दिया. सारांश यह है कि मध्यप्रदेश में सत्ता में भाजपा और विपक्ष में संघ के अनुषंगी, अब दिग्गी राजा चाहें तो बटाला हाउस, अजमेर, मालेगांव ब्‍लास्ट, समझौता एक्सप्रेस या देवास के सुनील जोशी की तथाकथित निर्मम हत्या को शिवराज सरकार द्वारा रफा दफा करने के लिए कोसते रहे, कोई फर्क नहीं पड़ता.

भूंख, भय, भुखमरी और भयानक गरीबी जहालत से जूझती मध्यप्रदेश की जनता को इस स्थिति में लाने का श्रेय भी दिग्गी राजा कुछ हद तक आपको, कांग्रेस को भी तो है. अभी २० दिसम्बर को कांग्रेस के महाअधिवेशन में शहडोल जिले की आदिवासी महिला ने क्या कहा? कांग्रेस ही कांग्रेस को हरवाती है इस कथन से कौन सहमत नहीं? वास्तव में कुल जमाँ २३ प्रतिशत वोट पाकर भाजपा सत्ता में हैं और ३३ प्रतिशत वोट पाने वाली कांग्रेस सत्ता विहीन और शायद इसी भ्रम में कांग्रेस जी रही कि वो तो सनातन से सत्ता में है और इसीलिए विपक्ष की भूमिका निर्वहन के लिए रंचमात्र तैयार नहीं. उधर भाजपा सत्ता में रहते हुए भी तीनो मोर्चों पर पूरी शिद्दत से सक्रिय है, एक- वह स्वर्णिम मध्यप्रदेश का नारा देकर शानदार मार्केटिंग करके जनाधार बढ़ा रही है. दो- संघ से तालमेल कर हिंदुत्व को शान पर चढ़ा कर धार तेज कर रही है, तीन- पानी-बिजली की कमी, महगाई, बेरोजगारी और भारी भृष्टाचार की तोहमतों से बचने के लिए स्वयम विपक्ष की भूमिका अदा कर भाजपा मध्यप्रदेश में अगली बार भी सत्तारूढ़ होने को है और दिग्गी राजा अकेले भांड़ फोड़ रहे हैं. उनका फासिज्म से कट्टरवाद से लड़ना सही है किन्तु उनकी सेना मध्यप्रदेश में कहाँ है? उनसे ज्यादा तो वामपंथ और बसपा सक्रिय हैं. कांग्रेस यदि सचमुच धर्मंनिरपेक्षता और प्रजातंत्र के लिए प्रतिबद्ध है तो उसे सिर्फ बयानवीर नहीं कर्मवीर तराशने होंगे.

जब तक यह आलेख पाठकों तक पहुंचेगा तब तलक अगली कार्यवाही के रूप में भारतीय मजदूर संघ की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा शिवराज सरकार को मजदूरों की समस्याओं से सम्बन्धित मांग पत्र प्रेषित कर दिया जावेगा, हालाँकि वामपंथी ट्रेड यूनियनों द्वारा संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की आवाज समय-समय पर सीटू द्वारा उठाई जाती है किन्तु मजदूरों को जो भी सहुलियेतें या उनके हित में सरका री अंशदान होगा वो भारतीय मजदूर संघ के प्रतिनिधि मंडल से समझौते के आधार पर होगा. इसीलिए शीघ्र ही आरएसएस के निर्देश पर बीएमएस भी वही करने जा रहा जो उनके बंधू बांधवों -वनवासी परिषद्, किसान संघ, विद्यार्थी परिषद् और विश्व हिन्दू परिषद् ने किया है।

संघ के सभी अनुषंगी एक साथ बैठकर निर्णय करते हैं और फिर बारी-बारी से जनांदोलनों की नूरा कुश्ती करते हैं भगवतीचरण वर्मा की कहानी ”दो बांके’ भोपाल, इंदौर. जबलपुर, ग्वालियर, सागर में इफरात से सड़कों पर अभिनीत हो रही है. फर्क सिर्फ इतना है कि एक बांका सत्ता में है तो दूसरा सत्ता का अनुषंगी. कांग्रेस तो इस समय पर्दा गिराने वाले की हैसियत में बिलकुल नहीं. साम्प्रदायिकता के खतरों को दिग्‍गी राजा समझ गए ये काफी नहीं -जनता भी ऐसा ही सोचे -समझे और करे तो कोई बात है अन्यथा आपकी ये मशक्कत किसी काम की नहीं.

5 COMMENTS

  1. फ़िज़ूल बक बक , समाज नहीं आया भा. ज . पा तो अची तरह से सर्कार चला रही है कांग्रेस्सियों की तरह नहीं देश को बेच रही है , और एक बात ये गंगा जमनी तहजीब क्या है बहुत बार सुना है इस शब्द को सुधर जाओ या वामपंथ ख़त्म हो चूका है

  2. ऐसे एक बार मैंने तब यह प्रश्न एक सघ कार्यकर्ता से उस समय पूछा था जब एनडीए सरकार केंद्र में सतारूढ़ थी की आर एस एस एनडीए सरकार से उलटे सीधे प्रश्न क्यों करता है?.उस कार्याकर्ता का उत्तर था की अगर हम नहीं पूछेंगे तो दूसरे पूछेंगे.दूसरों को यह मौका क्यों दिया जाये.हम जो प्रश्न पूछते है उसका उत्तर हमारे सरकार के पास हमेशा होता हैतो यह है संघ की राजनीती.

  3. तिवारी जी
    मई मध्य प्रदेश का हूँ मुझे पता है की दस सालोमे कांग्रेस ने क्या किया और बीजेपी ने क्या किया कभी वहा जाकर देखो जनता के बिच शिवराज जी कैसे फमौस है है दिग्गी को कैसे देखते है दिग्गी और श्रीनिवास तिवारी ने पुरे स्टेट को बर्बाद कर दिया था मात्र अय्यासी दिख रही थी
    तो प्ल्ज़ देश के गद्दारों का साथ मत दो कभी जमीं पर dekho

  4. संघ को कोसने के स्थान पर जाकर वामपंथ का मोर्चा संभालिये ,vampanth की तो इसी स्थिति हो गयी है की खुद वामपंथियों को नहीं मalum हमरी विचारधारा क्या है .और किसान संघ ने कोई पहली बार भाजपा के खिलाफ प्रधार्शन नहीं किया बल्कि गुजरात में तो बहुत ज्यादा प्रदर्शन किया था ,जब भी सरकार गलत दिशा में जाती है तो प्रभावित वर्ग प्रदर्शन करता है ओउर जीवन के हर क्षेत्र में संघ विचार धारा के लोग आगे है वो ही नेत्रत्य्व करते है तो उसमे आपको क्या आपत्ति है??
    या आप अपने आपको उन हजारो किसानो से ज्यादा समझदार मानते है जो किसान संघ के आह्वान पर भोपाल आये थे?? अपने विचारो को उन गरीब किसानो पर थोप कर आप उन १५ हजार किसानो का अपमान कर रहे है जरा सोचिये आपके वामपंथ का क्या हो गया है??
    किसान-मजदूर व् छात्र ये तिन स्तम्भ थे वामपंथ के जो भारत में ढाह गए है कोई पानी पिलाने वाला भी नहीं है कम्यूनिस्टो को केवल बंगाल के जोर पर उचकते है वो भी जल्द ढाह जायेगा………..

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