खिसकती ज़मीन के लिए पानी मांगता लश्करे तैयबा

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बीते कुछ समय से पाकिस्तान से पानी पानी की आवाजें आ रही हैं। ख़ास बात ये है कि ये आवाज़े उन दहशतगर्दों के गले से निकल रही है, जो अब तक कश्मीर का राग अलापते आए हैं। मुम्बई हमलों के मास्टर माइंड हाफिज़ सईद ने लाहौर में एक रैली की, जिसमें पानी के लिए भारत से जंग की बात कही। इस रैली में जमात उद दावा उर्फ लश्करे तैयबा के लोगों ने पानी या जंग, पानी या खून, शांति नहीं पानी चाहिए जैसी सूर्ख़ बयानगी लिखी तख्तियां थाम रखी थी। आख़िर इन लोगो को अचानक क्या हो गया कि ये कश्मीर की बात छोड़कर पानी के पीछे पड़ गए। अगर थोडे पीछे चले तो पांच फरवरी को भी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रैली के दौरानं लश्कर के सेकेन्ड कमांडर हाफ़िज अबदुल रहमान मक्की ने भी पानी के लिए भारत से जंग करने की बात कही थी। इनकी हां में हां मिलाते हुए आईएसआई के पूर्व चीफ हामिद गुल तो यहां तक कह गए कि हिन्दुस्तान से हमारा एक ही रिश्ता है और वो रिश्ता है दुश्मनी का….और इस दुश्मनी के लिए हमें परमाणु युध्द भी करना पडे, तो भी हम तैयार हैं। आख़िर ऐसा क्या हो गया कि हाफिज सईद, हाफ़िज अब्दुल रहमान मक्की जैसे ख़तरनाक दहशतगर्दो और उनके साथियों हामिद गुल के हलक सूखने लगे, कश्मीर को छोड़कर ये पानी मांगने लगे। दरअसल ये पानी मांग रहे हैं अपने जेहाद की खोती और सूखती ज़मीन के लिए। ये पानी मांग रहे हैं पाकिस्तान के अवाम के सपोट के लिए।

पाकिस्तान में कश्मीर एक ऐसा शब्द, जिसके लिए सौ गुनाह भी माफ। पाकिस्तान में अब तक जो भी हुकूमत बनी है, वो कश्मीर की माला जपते हुए ही बनी है और जिसने भी कश्मीर और भारत से शांति की बात की, उसे उख़ाड़ फेका गया। फौजी तानाशाह परवेज़ मुशरर्फ की जड़े भी तभी खुद गई थी जब वो शांति की बात सोचने लगे थे। लेकिन अफगान जेहाद के नाम पर चोट ख़ाए पाकिस्तान के अवाम अब कश्मीर जेहाद के नाम पर भी ख़ौफ ख़ा रहे हैं। वो ये जान गए हैं कि जिस जेहाद का नाम अब तक लिया जाता रहा है, वो हक़ीक़त में जेहाद नहीं, बल्कि दहशतगर्दी है और वही दहशतगर्दी रूपी जेहाद कब का अफगान की सरहद पार कर सूबा ए सरहद यानी एनडब्ल्लूएफपी के रास्ते इस्लामाबाद तक पहुंच गया है। नतीजतन, रोज़ ब रोज़ मासूम अवाम मर रहे हैं… कारोबार बेकार हो गया है। अब तो ये हालात हो गए हैं कि लोगों को लगने लगा है कि पाकिस्तान के पानी में ही लहू घुल गया है और जो ये पानी पीता है, उसका लहू या तो धमाकों में निकल बहता है या फिर वो लोगो के लहू से अपनी ज़मीन ही सुर्ख़ कर देता है। ऐसे हालात में अवाम अब कश्मीर में जेहाद को जारी रखने के लिए कतरा रहे हैं और वो दबे स्वरों में इसका विरोध भी कर रहे हैं। कई दानिशमंद तो पहले से ही इसके ख़िलाफ थे। लेकिन बम्बई हमले की लोगो ने वहां जमकर भर्त्सना की। मुम्बई हमले के बाद लश्कर उर्फ जमात उद दावा के काम और मदरसे की हक़ीक़त लोगों के सामने आने लगी… उसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। वेसे भी कोई जेहाद किसी मासूम की जान लेने को नहीं कहता। इसके बाद से ही हाफिज़ सईद भी लोगो के जेहनी कटघरे में घिरने लगा। अफगान जेहाद से जख्म खाए पाकिस्तानी अवाम आख़िर किस हिम्मत से कश्मीर झूठे जेहाद का दम भरे।

अवाम के पीछे हटते पांव लश्कर और हाफिज़ सईद और उसके गुर्गों को मायूस कर रहे हैं। आखिर करे भी क्यों ना, इनकी दुकान भी तो 1980 से अब तक इसी के नाम पर चलती आई हैं। अगर कश्मीर में आतंकी जेहाद जारी रखने की इनकी दुकान बंद हो गई तो इनको ख़ाड़ी देशों से मिलने वाला फंड बंद हो जाएगा और ये बेरोज़गार हो जांएगे। यही बातें इन्हें सता रही हैं और ये पाकिस्तान के अवाम का समर्थन पाने के लिए इनके दिल में जगह बनाने के लिए अब ये कश्मीर के साथ-साथ पानी की जंग यानी पानी के लिए जेहाद करने की बात कर रहे हैं। साफ शब्दों में कहें तो ये अपनी दहशत की दुकान चलाना चाहते हैं। भले ही जेहाद करने के फलसफे के साथ साथ मुद्दा बदल जाए।

आज पाकिस्तान दहशत की सबसे बड़ी दुकान भी है और यहां के मासूम अवाम इसके बिन ख़रीदे खदीददार भी बन बैठें हैं। पाकिस्तान के अवाम की सुबह शुरू धमाके से होती है और शब मातम के साथ गुज़रती है। बीते साल 2009 के 365 दिनों में 500 धमाके झेल चुके पाकिस्तान के अवाम इस तबाही से आजिज़ आ चुके हैं। लेकिन वो पिस रहे है फौज और तालिबान की आपसी लड़ाई में। पाकिस्तानी फौज और आई एस आई, जो कल तक तालिबान को पालती रही, वही तालेबान अवाम और इनकी जान के दुश्मन बन बैठे हैं। पाकिस्तान के फौजी ऑपरेशन के दौरान स्वात, मिंगोरा, में जो लाखों लोग बेघर हुए, वो मासूम अवाम थे ना कि तालिबान। क्योंकि तालिबान तो कब का अपना घर बार सब छोड आए थे। फौज से बदला लेने के लिए तालिबान कभी मस्जिद, कभी बाज़ारों तो कभी किसी और जगह धमाका करते हैं और मरते रहे बेकसूर अवाम। ऐसे में अवाम तालिबान के बाद लश्कर और हिज्ब मुजाहिद्दीन को आपना नया दुशमन नहीं बनाना चाहते। कमोबेश ऐसे ही धमाके जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में होने लेगे, जब वहां के लोगों को पाकिस्तान जैसे हालात बनते दिखने लगे तो उन्होंनें भी अपने हाथ खड़े कर दिए। पीओके के लोगो के जवाब ने लशकरे तैयबा के सिर में दर्द और बढ़ा दिया। जम्मू कश्मीर के अवाम तो पहले ही जवाब दे चुके थे। ऐसे में लश्करे तैयबा को हर जगह से अपनी ज़मीन खिसकती नज़र आ रही है। ये बात जान चुकी आई एस आई और लश्करे तैयबा पानी की मांग कर लोगो को भारत के खिलाफ मुत्तहीद करने की कोशिश कर रहे हैं। पीओके के कई नेता पाकिस्तान से पहले ही ये सवाल कर चुके हैं कि क्या पाकिस्तान और हमने सारी दुनिया में जेहाद का ठेका ले रखा है। लेकिन इसका जवाब अब भी इन्हें नहीं मिल पाया है।

लश्करे तैयबा बार बार पानी के लिए भारत मुख़ालिफ जंग की बात कहकर पाकिस्तान के लोगो को यह समझाने की कोशिश कर रहा हैं कि हम अपनी नहीं, कश्मीर की नहीं, आप सब के लिए पानी की जंग करेगें और पानी हम सब की जरूरत है। लोगों को ये बताया जा रहा है कि हिंदुस्तान ने पाकिस्तान का पानी रोक रहा हैं, लेकिन कई साल पहले ही बगलिहार प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान की आपत्ति के जवाब में वर्ल्‍ड बैंक साफ कर चुका है कि भारत पाकिस्तान का कोई पानी नहीं रोक रहा है। लेकिन फिर भी लश्कर को अपनी दुकान तो चलानी है, लोगो को तो गुमराह करना ही है। हाफिज़ सईद भी ये जानता है कि उनके मुल्क के लोग मज़हब का वास्ता देने पर तो धोख़ा खा ही जाएगें, इसीलिए वो पानी की बात के साथ साथ पाकिस्तान के मौलविओं से भी कई बार दरख्वास्त कर चुका है कि वो लोगों से कहें कि लोग हमारा साथ दें। हमारे साथ जेहाद में साथ दे…. ये सारी बातें लश्कर के मुंह से अपनी सरकती ज़मीन को देखकर निकल रही है। अब देखना है कि क्या पाकिस्तान के अवाम टूटते हैं या नहीं। एक षंका जो कि बराबर बनी हुई है कि कहीं एक बार फिर वो मज़हब के वास्ते धोख़ा ना खा जाएं।

-संदीप सिंह

6 COMMENTS

  1. नाम तो इसका पाक है , लेकिन 1948 से ही आपने नापाक इरादो के नशे में चूर है | मतलब साफ है अगर आपको जनता के बीच अपनी popularity बरक़रार रखनी है तोः इन दो कामों में किसी एक को साथ लेकर चलना होगा | या तोः विकाश करो नहीं तोः फिर विनाश की राजनीती करो | जिन्ना साहेब के मुल्क की नीव ही “विनाश” पर आधारित है | जेहाद का ये नया सिगुफा “पानी” के नाम भी हो सकता है , सचमुच काबीले तारिफ है | अच्छा है संदीप |

  2. संदीपजी –डटे रहें। हर गुटको अपना “हित” देखना पडता है। शासक शासनमें बना रहना चाहता है। आतंकी आतंक के सहारे अपना निर्वाह चलाना चाहता है। प्रजाजन (भारतसे बैर रखते हुए हि) सुरक्शित जीवन यापन चाहता है। लेकिन, मुल्ला भी मज़हब और शरियासे अपनी दुकान चलाना चाहता है। इस “जिग सॉ” पझलमें, कहींपर भी असंतुलन पैदा हो तो सारा नक्शा बिगड जाता है। पाकीस्तान भी आज तक हमेशा भारत द्वेषके (Hate vitamin) प्राण तत्व परहि जिंदा रहा है। इस Theorem को कभी भी नज़र अंदाज़ ना करें।पाकीस्तानी शासकभी एक दुजेको मारकर, या जेलमें डालकर हि तो गद्दीपर बैठते हैं।हिंदोस्तानके इस्लामी इतिहासमें भी तो इसी क्रूरताका परिचय मिलता है। गाफिल ना रहें।

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