राजेश कुमार पासी
इस लेख का शीर्षक एक सवाल है और यह सवाल इसलिए पूछना पड़ रहा है क्योंकि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने अपनी पार्टी के एक बड़े समारोह में बोलते हुए कहा है कि मैं मोदी जी से कई बार मिला हूं, उनमें कोई दम नहीं है । उनकी बात को न काटते हुए यह सवाल तो बनता है कि अगर मोदी जी में दम नहीं है तो पूरा विपक्ष बेदम क्यों दिखाई दे रहा है । राहुल कहते हैं कि मोदी कोई समस्या नहीं है. मीडिया वालों ने उनका गुब्बारा बनाया हुआ है. ये कोई समस्या नहीं है । वो अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि आप लोग उनसे मिले नहीं हैं, मैं मिला हूं इसलिए बता रहा हूं उनमें दम नहीं है । उन्होंने एक और बात कही कि आप मेरी बहन से पूछो, मोदी में दम नहीं है ।
राहुल गांधी कहते हैं कि मुझे 21 साल हो गए हैं राजनीति करते हुए लेकिन वो यह नहीं बता पा रहे हैं कि गांधी परिवार के होने के बावजूद उन्होंने इन 21 सालों में कांग्रेस को क्या दिया है । उन्होंने इस सभा में एक और बयान दिया कि उनकी एक गलती रही कि वो 21 साल में ओबीसी समाज को समझ नहीं पाए लेकिन अब वो अपनी गलती सुधारेंगे । सवाल यह पैदा होता है कि एक तरफ वो कहते हैं कि ओबीसी समाज का देश में पचास प्रतिशत हिस्सा है लेकिन वो फिर खुद कहते हैं कि वो इस समाज को समझ नहीं पाए तो उन्हें जवाब देना चाहिए कि वो 21 साल तक राजनीति में क्या कर रहे थे । देश की आधी आबादी के बारे में जानते ही नहीं है तो वो कांग्रेस को कैसे चला रहे थे । राहुल गांधी ऐसे परिवार में पैदा हुए हैं जिसमें तीन व्यक्ति भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और उनके पिता प्रधानमंत्री थे तो क्या किसी ने भी उन्हें भारतीय राजनीति के बारे में नहीं बताया । जो व्यक्ति राजनीति के बीच पैदा हुआ हो, वो कैसे ओबीसी को समझ नहीं पाया, ये जवाब तो राहुल गांधी को देना चाहिए. माफी मांगने से काम चलने वाला नहीं है ।
सबसे बड़ा मुद्दा फिर वही है कि राहुल गांधी क्यों मानते हैं कि मोदी में दम नहीं है । जो व्यक्ति 13 साल तक लगातार गुजरात का मुख्यमंत्री रहा और वहां से चलकर प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गया, उसमें दम नहीं है । जो व्यक्ति लगातार 11 साल से प्रधानमंत्री की कुर्सी पर है और अभी चार साल तक बना रहने वाला है, उसमें दम नहीं है । सवाल तो राहुल गांधी को अपने आप से पूछना चाहिए कि भारत जैसे देश को क्या बिना दम वाला व्यक्ति चला सकता है । जबसे राहुल गांधी ने यह बयान दिया है, उनके समर्थक भी यह कह रहे हैं कि मोदी जी में दम नहीं है. मीडिया ने उनका गुब्बारा फुलाया हुआ है । सवाल यह है कि जो व्यक्ति 11 साल से लगातार प्रधानमंत्री है, उसके गुब्बारे में कांग्रेसी एक छोटी सी पिन तक चुभा नहीं पाए. अगर वो ऐसा करते तो गुब्बारे की सारी हवा एक मिनट में फुर्र हो जाती । क्या कांग्रेस 11 साल से एक गुब्बारे से लड़कर पस्त है । सवाल तो फिर कांग्रेस पर ही उठ सकता है कि वो कितनी कमजोर पार्टी है, जो एक गुब्बारे से भी नहीं लड़ पा रही है ।
अगर कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता राहुल की बात को सच मानते हैं तो उन्हें परेशानी क्या है, मोदी जी की हवा तो कभी भी निकल सकती है । अगर राहुल की बात को कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता सच मान लेते हैं तो कांग्रेस के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है क्योंकि मोदी जी में दम नहीं है. उनसे लड़ने की क्या जरूरत है । यही कारण है कि विपक्ष के नेता शोर मचा रहे हैं कि मोदी जी ने ट्रंप के कहने पर सीजफायर कर दिया है जबकि मोदी सरकार कई तरीकों से कह चुकी है कि सीजफायर में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं है । संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई बहस में मोदी जी ने फिर कहा है कि सीजफायर किसी के भी कहने से नहीं किया गया है । इसके जवाब में राहुल गांधी कह रहे हैं कि मोदी जी ने ट्रंप का नाम नहीं लिया । सवाल यह है कि जब किसी की कोई भूमिका नहीं है तो ट्रंप की भूमिका भी नहीं है । इसका साफ मतलब है कि राहुल गांधी जो बोल रहे हैं उसे वो मानते भी है कि मोदी जी में दम नहीं है. वो ट्रंप के आगे झुक गए और सीजफायर कर दिया ।
एक तरफ विपक्ष कहता है कि मोदी जी में दम नहीं है, दूसरी तरफ फिलिस्तीनी राष्ट्रपति मोदी जी को पत्र लिखकर गुहार लगा रहे हैं कि वो इजराइल को समझाएं कि गाजा में बच्चे भूखे मर रहे हैं । उनसे इजराइल पर दबाव बनाने को कहा जा रहा है कि वो उसे युद्ध रोकने को कहे । मोदी जी में दम नहीं है, क्या यह बात फिलिस्तीनी राष्ट्रपति को पता नहीं है । मोदी जी की हथियारों के मदद के कारण आर्मेनिया के दुश्मन तुर्की और अजरबैजान परेशान हैं । मोदी जी में दम नहीं है लेकिन वो अमेरिका और यूरोप की धमकियों से बेपरवाह होकर रूस की लगातार मदद कर रहे हैं । राहुल को जवाब देना चाहिए कि क्या कारण है कि मोदी सरकार के आने के बाद पाकिस्तान को पीओके की फ्रिक सताने लगी है । मोदी जी के आने से पहले तो हम कश्मीर की चिंता में लगे रहते थे लेकिन अब पाकिस्तान को अपने कब्जे वाले कश्मीर की चिंता सता रही है । मोदी सरकार के आने से पहले कश्मीर मुद्दे पर मुस्लिम देशों का जैसा समर्थन पाकिस्तान को मिलता था, अब क्यों नहीं मिल रहा है ।
मोदी जी में दम नहीं है तो विपक्ष क्यों कह रहा है कि भारत सरकार को सीजफायर नहीं करना चाहिए था । विपक्ष के नेता क्यों कह रहे हैं कि युद्ध जारी रहता तो हम पीओके ले सकते थे. सवाल यह है कि जो काम कोई दूसरा प्रधानमंत्री नहीं कर पाया, उस काम की अपेक्षा विपक्ष को बिना दम वाले मोदी जी से क्यों है । क्या विपक्ष चाहता है कि एक बिना दम के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत पाकिस्तान के साथ पूर्ण युद्ध में कूद जाता । पहलगाम हमले के बाद विपक्ष क्यों मांग कर रहा था कि इसका पाकिस्तान को जवाब दिया जाये । जब कांग्रेस के शासन में बड़े-बड़े आतंकवादी हमलों का जवाब नहीं दिया गया था तो बिना दम वाले प्रधानमंत्री से पाकिस्तान को जवाब देने के लिए क्यों कहा जा रहा था । मोदी जी के शासन में ही भारतीय सेना चार साल तक चीन की सेना के सामने खड़ी रही और आखिरकार चीन की सेना को पीछे हटना पड़ा ।
अब भारतीय राजनीति की बात करें तो मोदी जी के राष्ट्रीय राजनीति में आने से पहले भाजपा ने कभी पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बनाई थी । भाजपा के नेता भी जानते थे कि भाजपा कभी भी 200 सीटों से आगे नहीं बढ़ सकती । जब भाजपा ने मोदी जी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो उन्होंने 272 सीट जीतने का लक्ष्य रखा जिसका खुद भाजपा के नेता मजाक बनाते थे । देश में किसी को भी यह यकीन नहीं था कि भाजपा 272 सीटें जीतकर सरकार बना सकती है लेकिन मोदी जी ने यह असंभव सा लगने वाला काम करके दिखा दिया । 2014 में ऐसा लगा कि मोदी जी का तुक्का लग गया है, अब 2019 में भाजपा 200 सीट भी जीत नहीं पाएगी लेकिन तब मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने 300 का भी आंकड़ा पार कर लिया । तीसरी बार 240 सीटें जीतने को मोदी जी की हार बताया जा रहा है लेकिन कोई समझने को तैयार नहीं है कि तीसरी बार 240 सीटें जीतना भी बड़ी बात है । 240 सीटों के बावजूद मोदी जी सरकार बनाने में कामयाब रहे और सफलतापूर्वक सरकार चला रहे हैं लेकिन राहुल कहते हैं कि उनमें दम नहीं है ।
मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार हरियाणा, त्रिपुरा, ओडिशा, असम और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में सरकार बनाई है । इसके अलावा उनके नेतृत्व में ही उत्तर प्रदेश में भाजपा दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बना चुकी है । मोदी जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद आज तक कांग्रेस गुजरात में जीत नहीं पाई है । इसके अलावा मोदी जी के नेतृत्व में भाजपा बंगाल और तेलंगाना में दूसरे नम्बर की पार्टी बन चुकी है । उनके नेतृत्व में ही भाजपा धीरे-धीरे तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में पैर जमा रही है । अगर राहुल गांधी यह मानते रहे कि मोदी जी में दम नहीं है और यह बात अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों को भी समझाते रहे तो कांग्रेस की वास्तविक हालत का उन्हें अहसास कैसे होगा ।
राजनीति में हमें अपनी शक्ति का अहसास होना चाहिए लेकिन विरोधी की ताकत का भी पता होना चाहिए । ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद की बहस में मोदी जी के भाषण से लगता है कि वो कांग्रेस की तरफ से लापरवाह हो चुके हैं और भविष्य की योजनाएं बना रहे हैं । वो अपनी राजनीति के तहत राहुल गांधी को ही विपक्ष का नेता देखना चाहते हैं क्योंकि राहुल की राजनीति मोदी जी को रास आ रही है । राहुल गांधी को मोदी जी का दम देखना है तो अपनी पार्टी की हालत देख लें । उन्हें विचार करना होगा कि कांग्रेस की ऐसी हालत के लिए कौन जिम्मेदार है । अगर वो गंभीरता से इस पर विचार करेंगे तो इससे कांग्रेस का ही भला होगा ।
राजेश कुमार पासी