देश में हीन भावना पैदा कर रहा विपक्ष

राजेश कुमार पासी

हीनभावना एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपनी शक्ति पर भरोसा खो देता है। वो जो काम आसानी से कर सकता है वो भी उसे असम्भव नजर आने लगता है । हीनभावना से ग्रस्त व्यक्ति अपने आपको बहुत कमजोर मानने लगता है । हमारे विपक्षी नेता विशेष तौर पर राहुल गांधी ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे देश हीनभावना से ग्रसित हो सकता है, हालांकि ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। समस्या यह है कि वो देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं इसलिए उनके बयानों की अनदेखी करना भी सही नहीं लगता । जिस समाज और देश को हीनभावना घेर लेती है वो अपने सामर्थ्य पर शक करने लगता है और कोई भी जोखिम लेने से डरने लगता है। वो कुछ भी नया करने से डरने लगता है।

दलित समाज की बात करें तो इसमें एक बड़ा वर्ग और विशेष रूप से इसका बुद्धिजीवी वर्ग हीनभावना से ग्रस्त है । अक्सर मेरे लेखों पर सोशल मीडिया में मुझे यह उलाहना सुनना पड़ता है कि मैं दलित मुद्दों पर क्यों नहीं लिखता, अपना इतिहास भूल गया हूँ, मेरे लेख भाजपा के पक्ष में हैं । इसकी वजह यह है कि दलित समाज के हीन भावना से ग्रस्त लोग जाति से बाहर निकल कर कुछ सोच ही नहीं सकते । उन्हें यह बर्दाश्त नहीं होता कि कोई दलित पत्रकार दलित मुद्दों से बाहर निकल कर अन्य मुद्दों पर विचार कैसे रख रहा है। मुझे समझ नहीं आता कि निष्पक्ष होकर लिखना गलत कैसे है।  वास्तव में हताश और निराश लोग अपने आपको एक दायरे में सीमित कर लेते हैं, उससे बाहर निकलने से डरते हैं और जो इससे बाहर निकलता है उसके दुश्मन बन जाते हैं। 

 जब से मोदी राष्ट्रीय राजनीति में आये हैं वो विपक्ष के लिए एक पहेली बन गए हैं। उनके 11 साल के शासन के बाद भी विपक्ष उनकी राजनीति को समझ नहीं पाया है। मोदी न केवल अपनी शक्ति को जानते हैं बल्कि सामने वाले की शक्ति का बहुत सही आंकलन कर पाते हैं। वो किसी भी काम को करने के लिए उचित समय का इंतजार करते हैं और उसके लिए लंबी योजना बनाते हैं, इसलिए वो विपक्ष पर भारी पड़ते हैं। विपक्ष के लिए समस्या यह है कि उसे कभी नहीं पता लगता कि मोदी कब क्या करने वाले हैं। मोदी के 11 साल के शासन ने विपक्ष को मानसिक अवसाद से ग्रस्त कर दिया है। मानसिक अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति को सब तरफ ऐसी चीजें दिखाई देने लगती हैं जो वास्तव में होती ही नहीं हैं । उसे हर तरफ अपने काल्पनिक दुश्मन दिखाई देने लगते हैं और वो कुछ भी अच्छा होने की उम्मीद खो चुका होता है। विपक्ष भी मानसिक अवसाद से ग्रस्त हो चुका है और उसमें हीन भावना घर कर गयी है। यही कारण है कि जब डोनाल्ड ट्रंप ने बयान दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था मृत है तो पूरे विपक्ष और उसके  समर्थकों ने उसे लपक लिया। राहुल गांधी ने मीडिया में आकर बयान दिया कि क्या आप लोग नहीं जानते कि भारत की डेड इकोनॉमी है। मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया है। मैं तो कब से कह रहा हूँ कि देश की अर्थव्यवस्था खत्म हो चुकी है आप लोग ही नहीं मानते थे । डोनाल्ड ट्रंप ने कह दिया है तो आपको पता चला है।

विपक्ष यह देखने को तैयार नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप एक रणनीति के तहत यह बयान दे रहे हैं । आर्थिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ट्रम्प भारत पर दबाव बनाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं ताकि दबाव में आकर भारत सरकार अमेरिका की शर्तों पर उसके साथ व्यापार समझौता कर ले । इसी रणनीति के तहत वो भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं। वास्तव में विपक्ष यह विमर्श लगातार चला रहा है कि मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को डुबो दिया है । डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने उसे बैठे बिठाए यह मौका दे दिया है कि वो अपनी बात को सही साबित कर सके । जिसके ऊपर अब अमेरिकी जनता को भी भरोसा नहीं रह गया है, वही ट्रम्प विपक्ष के लिए दुनिया के सबसे विश्वसनीय नेता बन चुके हैं। डोनाल्ड ट्रंप की कंपनी सबसे ज्यादा निवेश भारत में करने जा रही है तो विपक्ष को खुद से सवाल पूछना चाहिए कि क्या डोनाल्ड ट्रंप मूर्ख हैं जो एक डेड इकोनॉमी में अपना पैसा फंसा रहे हैं। इसके अलावा इस समय अमेरिकी कंपनियां सबसे ज्यादा निवेश भारत में कर रही हैं जबकि डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश न करें । सवाल उठता है कि क्या दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां एक डेड इकोनॉमी में अपना पैसा फंसा रही हैं। 

             वास्तव में विपक्ष अच्छी तरह जानता है कि ट्रंप झूठ बोल रहे हैं लेकिन वो दो कारणों से उनके साथ खड़ा हो गया है । एक कारण यह है कि वो मोदी की उपलब्धियों को जनता की नजरों में संदेहजनक बनाना चाहता है तो दूसरा कारण यह है कि विपक्ष मानसिक अवसाद से ग्रस्त है और उसे भारत की अर्थव्यवस्था बर्बाद नजर आती है । विशेष तौर पर कांग्रेस का मन यह मानने को तैयार नहीं है कि एक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री के शासन में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से दौड़ती अर्थव्यवस्था है । अमेरिका इस अर्थव्यवस्था का फायदा उठाने में पीछे नहीं रहना चाहता, इसलिए भारत सरकार पर दबाव बना रहा है कि वो उसकी शर्तों पर उसके साथ समझौता करे । भारत का दुर्भाग्य है कि देश का विपक्ष देशहित की अनदेखी करके ट्रंप के साथ खड़ा है । विपक्ष देश को हीनभावना से ग्रस्त करना चाहता है ताकि आगे बढ़ते भारत को रोका जा सके । राहुल गांधी सोचते हैं कि उनके बिना भारत कैसे आगे बढ़ सकता है. ऐसा तभी हो सकता है जब वो देश के प्रधानमंत्री बन जाए ।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध विराम को लेकर जब से डोनाल्ड ट्रंप ने यह दावा किया है कि उन्होंने ही दोनों देशों के बीच युद्ध विराम करवाया है, तब से वो विपक्ष के लिए एक हीरो बन गए हैं। इसका कारण यह है कि विपक्ष को उनके बयान के बाद अपनी बात साबित करने का मौका मिल गया है कि मोदी जी ने डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में आकर ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया है । सरकार कई बार कह चुकी है कि उसने ऑपेरशन सिंदूर को इसलिए रोका है क्योंकि उसने जो लक्ष्य तय किया था, वो उसे हासिल कर चुकी थी। सरकार का कहना है कि युद्ध विराम के लिए पाकिस्तान की तरफ से उनके डीजीएमओ का अनुरोध आया था जिसे भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया और युद्ध विराम कर दिया । दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप लगातार अपनी यह बात दोहरा रहे हैं कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रुकवाया है । अजीब बात है कि दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सैन्य शक्ति का मुखिया एक नहीं, दो दर्जन बार यह कह चुका है कि उसने युद्ध विराम करवाया है । अपनी सरकार पर भरोसा न करके विपक्ष को विदेशी नेता पर ज्यादा भरोसा है । 

                मोदी के 11 साल के शासन के बाद भी विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, इसलिए विपक्ष मुद्दों की तलाश में भटकता रहता है । वो महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक बर्बादी को रोना तो रोता है लेकिन इसे मुद्दा नहीं बना पाता है क्योंकि ये मुद्दे हर देश में होते हैं । पाकिस्तान पर भारत की बड़ी जीत में भी वो भारत की हार देखता है । जब पूरी दुनिया भारत के बाजार की ओर देख रही है तो विपक्ष को देश में सब तरफ बर्बादी ही नजर आ रही है । इसका मतलब है कि विपक्ष  हीनभावना से ग्रस्त है क्योंकि वो मोदी के सामने खुद को बहुत कमजोर पा  रहा है । विपक्ष देश को भी हीन भावना से ग्रस्त करना चाहता है ताकि देश की जनता को विपक्ष में एक अच्छा विकल्प दिखाई देने लगे जो देश के हालात अच्छे कर सकता है । सवाल यह है कि हालात खराब हैं, पहले यह साबित करना होगा जो कि विपक्ष कर नहीं पा रहा है । देश की जनता सब कुछ देख रही है इसलिए विपक्ष की राजनीति चल नहीं पा रही है । विपक्ष अपनी पराजय स्वीकार करने की जगह चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट और दूसरी संवैधानिक संस्थाओं पर हमले करता रहता है ।

 मानसिक अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति को हर व्यक्ति दुश्मन दिखाई देने लगता है, ऐसे ही विपक्ष को देश की हर व्यवस्था अपनी दुश्मन दिखाई देने लगी है । विपक्ष खुद में सुधार लाने की जगह जनता को दोष दे रहा है कि वो उसे मौका क्यों नहीं दे रही है ।  यह बात वो सार्वजनिक रूप से कह नहीं सकता इसलिए चुनाव आयोग पर चुनाव चोरी का आरोप लगा रहा है । जनता को यह बताने की कोशिश की  जा रही है कि आप लोग तो सरकार बदलना चाहते हो लेकिन चुनाव आयोग भाजपा को बेईमानी करके जीत दिला रहा है । देश का सौभाग्य है कि देश की जनता बहुत समझदार हो चुकी है और विपक्ष के झांसे में  नहीं आ रही है ।

राजेश कुमार पासी 

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