तिहाड़ में आर्थिक घोटालों की ट्यूटोरियल क्लास

‘तड़का’-तिहाड़ दुर्दान्त कैदी एसोसियेशन ने प्रधानमंत्री से मीटिंग करवाने की ज़िद पकड़कर जेल में अचानक असहयोग आन्दोलन और अनशन प्रारम्भ कर दिया। असहयोग स्वरूप सारे दुर्दांत कैदियों ने घर और होटलों का बना स्वादिष्ट मुगलई, चाईनीज़ खाना, शराब, मुर्ग-मुसल्लम, ड्रग्स, बीड़ी-सिगरेट, मोबाइल-टी.वी. इत्यादि-इत्यादि सुविधाएँ त्यागकर जेल की दाल-रोटी खाना प्रारम्भ कर दिया और अनशन स्वरूप गाली-गलौज, मारपीट, राड़ा बंदकर जेल के आन्तरिक प्रांगण में त्याग की मूर्ति बने योग मुद्रा में जा बैठे। जेल प्रशासन कैदियों के इस अप्राकृतिक व्यवहार से तनाव में आ गया और उन्होंने तुरत-फुरत अपने उच्च अधिकारियों से बात कर प्रधानमंत्री से उनकी मीटिंग फिक्स करवाई, स्वयं जेल मंत्री कैदियों के प्रतिनिधिमंडल को लेकर प्रधानमंत्री निवास पहुँचे। मीटिंग प्रारम्भ हुई। प्रधानमंत्री ने बिना मुस्कुराए कहा- हाँ भई, बताइए क्या समस्या है !

कैदियों का एक प्रतिनिधि बोला-साहब, हमारे ऊपर सरासर अत्याचार किया जा रहा है। एक के बाद एक बड़े-बडे कैदी अगर यूँ आप तिहाड़ में रहने के लिए भेजते रहे तो फिर हम कहाँ रहेंगे! हमें अपने अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी चाहिये।

प्रधानमंत्री ने कहा-देखिए, देश में डेमोक्रेसी है, जेलें सभी के लिए बनी हैं, हमें सभी की सुविधाओं का ध्यान रखना पड़ता है। तिहाड़ कोई आपकी बपौती तो है नहीं! उस पर जितना हक आपका है उतना ही ‘राजा’ और ‘कलमाड़ी’ का भी है।

एक महिला कैदी उत्तेजित होती हुई बोली-लेकिन सर, ‘कनिमोझी’ जैसी ‘कविमना’ महिलाओं को आप तिहाड़ अलॉट कर दें यह अच्छा नहीं है। महिला अपराधियों में भारी रोष है।

प्रधानमंत्री बोले-नहीं नहीं, कैदी बहनों का यह रोष एकदम अनुचित है। ‘कनिमोझी’ जैसी भद्र महिलाएँ देश की गौरव हैं उन्हें हम तिहाड़ नहीं तो फिर कहाँ भेजेंगे!

एक अन्य प्रतिनिधि बोला- प्रधानमंत्री जी, आपसे अनुरोध है कि आप ऐसे बड़े-बड़े कैदियों के लिए एक अलग जेल का निर्माण कराएँ। इन लोगों के आने से ‘तड़का’ के सदस्यों के बिगड़ने की संभावनाएँ बढ़ गईं हैं। सोचिए हत्या, लूट, बलात्कार और दूसरे छोटे-मोटे अपराधों में तिहाड़ में आराम कर रहे भाई लोग बाहर निकलकर स्पेक्ट्रम घोटाले करने लगेंगे तो आपको कैसा लगेगा।

प्रधानमंत्री बोले- मुझे बहुत अच्छा लगेगा। कब तक वे अपनी प्रतिभा को यूँ छोटे-मोटे अपराधों में ज़ाया करेंगे! प्रगति करना कोई बुरी बात नहीं है। यह उनके लिए एक सुनहरा अवसर है, वे हमारी इन राष्ट्रीय विभूतियों से कुछ सीखें।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने घड़ी देखकर मीटिंग समाप्ति का भाषण प्रारम्भ करते हुए कहा-सज्जनों और देवियों, हम तेज़ी से दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर है, ऐसे में हम बड़े-बड़े आर्थिक अपराध मनीषियों की ओर बड़ी आशा से देख रहे हैं। आप लोग टुच्चे अपराधों को तिलांजलि देकर बड़े आर्थिक अपराधों में पारंगत हों, यह देश के आर्थिक विकास के प्रति आपका महत्वपूर्ण योगदान होगा। आप सबका धन्यवाद, अपने-अपने बैरकों में वापस जाइये और हमें सहयोग कीजिए। जयहिन्द।

सारे कैदी मुँह फुलाकर वापस तिहाड़ लौट आए और अनमने से राजा, कलमाड़ी तथा कनिमोझी की विहंगम आर्थिक घोटालों की ट्यूटोरियल क्लास का इंतज़ार करने लगे।

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