तू दयानंद का वीर सिपाही ….

यदि रगों में तेरे लहू नहीं
तो जीने का क्या अर्थ हुआ ?
यदि देशहित कुछ किया नहीं
तो जीवन तेरा व्यर्थ हुआ।
है मातृभूमि का ऋण तुझ पर
उसको भी चुकाना है तुझको,
यदि आतंकी खेती करता रहा
तो समझो बेड़ा गर्क हुआ।।

तू राम की सेना का सैनिक
आजाद हिंद का नायक है,
तू दयानंद का वीर सिपाही
भगवा ध्वज का वाहक है।
योगीराज का तू अर्जुन है,
हनुमान राम का तू ही है।
राणा की हल्दीघाटी का तू
झाला वीर विनायक है।।

तू ही शिवा है तू ही संभा है,
तू ही विनायक दामोदर भी।
तू ही भारत की बाजू बंधु!
तू ही गर्वोन्नत मस्तक भी।।
सम्मान हिमालय का तू ही
स्वाभिमान देश का तू ही है।
तू ही निर्मल है धार गंग की
हिमालय का मानसरोवर भी।।

तुझसे ही चमन तुझसे गुलशन
तुझसे ही महकता उपवन है।
क्यों व्यर्थ चिंतन में पड़ा हुआ
अनमोल मिला यह जीवन है।।
मत अटक यहां ना भटक यहां
छोड़ द्वंद्व का भव-बंधन भी ।
उसका ध्यान किया कर बंदे,
शुद्ध होता जिससे चिंतन है।।

डॉ राकेश कुमार आर्य

Previous articleधराली की घटना के निहित – अर्थ
राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here