भ्रष्टाचार एवं कालाधन विरोधी अभियान का देशव्यापी समर्थन

धाराराम यादव

अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त योग गुरु बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार एवं कालाधन विरोधी अभियान को देशव्यापी समर्थन की स्वाभाविक अपेक्षा की जा रही थी, किन्तु ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ की तर्ज पर सबसे पहले कांग्रेस के बड़बोले महासचिव दिग्विजय सिंह ने बाबा के अभियान पर यह कहकर कटाक्ष किया कि पहले दान गुरु अपनी सम्पत्ति की घोषणा करें एवं यह भी बतायें कि दान से प्राप्त सम्पत्ति में काला धन कितना शामिल है? इसका तात्पर्य यह हुआ कि योग गुरु को पहले दान-दाताओं के लेखों को लेखा परिक्षकों से ऑडिट कराकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सम्बन्धित दानदाता का धन दूध की तरह सफेद और गंगाजल की तरह पवित्र है।” दिग्गी राजा को यह घोषणा करनी चाहिए कि उनकी पार्टी चुनावी चन्दा वसूल करते समय कॉरपोरेट घरानों एवं कालेधन वालों का हिसाब-किताब ऑडिट करवाकर तब चन्दा लेते हैं। बाबा रामदेव ने अपने दो ट्रस्टों की कुल पूँजी 1,100 करोड़ रुपये घोषित कर दी है। अब दिग्गी राजा की बारी है। वे अपनी निजी सम्पति सहित अपनी पार्टी तथा उससे जुड़े सभी ट्रस्टों की जमा पूंजी की घोषणा करायें। साथ ही यह भी घोषित करायें कि सारा धन पवित्र एवं श्वेत है। एक अन्य पंथनिरपेक्ष और बड़बोले राजनेता लालू प्रसाद यादव, जो स्वयं बिहार के बहुचर्चित 900 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के अभियुक्त हैं एवं आय के ज्ञात श्रोतों से अधिक की सम्पति बटोरने के आरोपों की जाँच का सामना कर रहे हैं, बाबा पर निहायत घटिया एवं जातिवादी टिप्पणी करके अपनी तुच्छ मानसिकता का परिचय यह कहकर दिया है कि ”दूध बेचने वाला अब दवा बेच रहा है।” यह सुखद संयोग है कि जाति व्यवस्था के हिसाब से लालू प्रसाद यादव एवं योग गुरु बाबा रामदेव एक ही बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं। लालू खुद दूध बेचते-बेचते बिहार के मुख्यमंत्री और केन्द्रीय रेलमंत्री बन गये थे। अब अपने ही किसी स्वजातीय सन्यासी को लोकप्रियता प्राप्त करते देखकर उन्हेंर् ईष्या क्यों हो रही है? लालू प्रसाद यादव ने अपनी अवांछनीय टिप्पणी से केवल योग गुरु बाबा रामदेव का ही नहीं, वरन् पूरे यादव समाज का अपमान किया है। यह निष्कर्ष निकालना अनुचित न होगा कि लालू प्रसाद यादव ने जिस प्रकार योग गुरु बाबा रामदेव पर व्यंग्यात्मक लहजे में कटाक्ष किया है, वह अपने पुराने कांग्रेसी जनों को प्रसन्न करने के लिए ही दिया है हालांकि कांग्रेसी हल्कों द्वारा उन्हें महत्व नहीं दिया गया। दिग्विजय सिंह के कटाक्ष पर बाबा ने खुले आम यह चुनौती दे डाली कि सत्तारुढ़ कांग्रेस जब चाहे उनकी सम्पति की जाँच करा सकती है। साथ ही यह भी जोड़ा कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह एवं कांग्रेस पार्टी को भी अपनी सम्पति की जाँच करानी चाहिए। यह सुखद आश्चर्य का विषय है कि योग गुरु के भ्रष्टाचार और कालाधन विरोधी अभियान पर एक देशव्यापी बहस छिड़ गयी है। आशा तो यह की जाती है कि बाबा के अभियान का समर्थन सभी राजनीतिक दल, राजनेता, समाजसेवी, संत-महात्मा, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन एवं अन्यान्य संगठनों को खुलकर ‘तहेदिल’ से करना चाहिए। यह नितान्त आश्चर्यजनक बिडंबना है कि कुछ बड़बोले प्रवक्ता यह सुझाव दे रहे हैं कि बाबा रामदेव को योगी या सन्यासी ही बने रहना चाहिए। उन्हें भ्रष्टाचार और कालेधन के विरोध में अपना मत नहीं व्यक्त करना चाहिए। उन्हें स्मरण रखना चाहिए कि प्राचीन भारतीय वांग्मय में समाहित इतिहास के अनुसार अतीत में भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा न केवल समाज को सन्मार्ग पर रहने के लिए प्रेरित किया जाता था, वरन् राजसत्ता पर भी उनका कमोवेश नियंत्रण रहता था।’ अनेक राजा उनकी राय लेकर ही सत्ता का संचालन करते थे। बाबा रामदेव के समर्थन में समर्पित समाजसेवी स्वामी अग्निवेश खुलकर सामने आ गये हैं। उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दिग्गी राजा काला धन विरोधी बहस को गलत दिशा में मोड़ने का दुष्प्रचार कर रहे हैं। वे सत्तारुढ़ दल के महासचिव हैं। अगर उन्हें बाबा की सम्पत्ति पर एतराज हैं, तो वे सरकार से कहकर उनकी सम्पत्ति की जाँच करवा सकते हैं। जब बाबा ने स्वयं जाँच की खुली चुनौती दी है, तो फिर कांग्रेस संकोच क्यों कर रही है? बाबा रामदेव ने कहा है कि काला धन सेठों, राजनेताओं, नौकरशाहों एवं स्वामियों में से किसी के पास हो सकता है। उसका न केवल खुलासा होना चाहिए वरन् देशहित में उसे बाहर भी आना चाहिए। यह अनुमान लगाया गया है कि विदेशी बैंको में जमा काला धन यदि देश में वापस लाने में सफलता मिल जाती है, तो उससे देश की गरीबी और बेरोजगारी अतिशीघ्र दूर हो जायगी। स्वामी अग्निवेश ने यह भी कहा है कि बाबा रामदेव ने कालेधन को मुद्दा बनाकर किसी प्रकार की राजनीति नहीं की है। देशहित के इस मुद्दे को तो सभी को समर्थन करना चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, उनके मंत्रिमण्डलीय सहयोगी और नौकरशाहों ने अपनी सम्पत्ति की घोषणा कर दी है। इसका अनुसरण केन्द्र सरकार सहित सभी राज्य सरकारों को करना चाहिए। स्वामी अग्निवेश ने दिग्विजय सिंह को सलाह दी है कि स्विस बैंक सहित विभिन्न विदेशी बैंको में जमा भारतीयों के लाखों-करोड़ो रुपये के काले धन को स्वदेश वापस लाने में उन्हें महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।

 

लंदन से डी. के. सिसोदिया ने इस संबंध में कहा है कि देश की जनता दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के बारे में भलीभांति जानती है। काले धन के विरुध्द छेड़े गये आन्दोलन में बाबा को सफलता अवश्य मिलेगी, समय अवश्य चाहे जितना लग जाय। चण्डीगढ़ से बबलू ने कहा है कि दिग्विजय सिंह खुद को पहले पाक-साफ घोषित करें और अपनी सम्पति का विवरण दें। चन्दू के अनुसार दिग्विजय सिंह ओर कांग्रेस दोनों को पहले अपने गिरेबां में झांकना चाहिए और तब बाबा के कालाधन विरोधी अभियान पर कुछ बोलने का साहस करना चाहिए। रियाद से तेजराज ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में कहा कि दिग्विजय सिंह का नार्को टेस्ट कराना चाहिए ताकि यह ज्ञात हो सके कि उनके पास कितना काला धन है। अमेरिका के मिशिगन से पारस मालवीय ने कहा कि दिग्विजय सिंह की राजनीतिक पार्टी अब लगभग समाप्तप्राय है, इसलिये वे प्रायः अनर्गल प्रलाप करते रहते हैं। विशाखापट्टनम के मुकेश का यह मानना है कि बाबा अपने अभियान द्वारा देश में रामराज्य स्थापित करने में सफल हो जायेंगे। शिलांग (मेघालय) से सर्वेश्वर शर्मा का कहना है कि सत्तारुढ़ कांग्रेस को सीबीआई को निर्देष देकर बाबा के धन का पर्दाफाश कराना चाहिए। भवानी मंडी के पवन को यह आशंका है कि बाबा को बदनाम करने के लिए अभी तरह-तरह की साजिशें रची जायेगी। काले धन जैसे संवेदनशील मामले में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का बाबा रामदेव के प्रति विरोध करने का रहस्य अवश्य उजागर होना चाहिए। आखिरकार बाबा के काला धन विरोधी अभियान से कंाग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के तिलमिला उठने का रहस्य क्या है? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया को देश को आश्वस्त करना चाहिए कि वे बाबा के अभियान का समर्थन करती है या नहीं? बाबा रामदेव के समर्थन और विरोध में क्रमशः भाजपा एवं कांग्रेस खुलकर सामने आ गये हैं। कुछ कांग्रेस समर्थक छुट भैय्यों ने बाबा को राजनीति में न उतरने की सलाह दी है और कहा है कि योग गुरु को अपने को योगासन सिखाने तक ही सीमित रखना चाहिए। भारतीय संविधान के किसी अनुच्छेद में ऐसा प्रावधान नहीं है जिसे आधार बनाकर योग गुरु बाबा रामदेव को राजनीति में आने से रोका जा सके। सभी भारतीय नागरिकों को राजनीतिक दल बनाने, किसी भी राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। इस अधिकार में कटौती करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। अतः ऐसे सुझाव निरर्थक हैं जो संविधान विरोधी भी है। अभी विदेशी चैनल विकीलीक्स के इस ताजा खुलासे ने वर्तमान संप्रग सरकार की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ किया है। जुलाई 2008 में सत्तारुढ़ संप्रग द्वारा लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए सांसदों की खरीद-फरोख्त की गयी थी। स्वाभाविक रुप से सांसदों को करोड़ो रुपयों की रिश्वत काले धन के रुप में दी गयी थी। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सांसदों की खरीद-फरोख्त में सत्तारुढ़ दल के शामिल न होने के आरोपों को पहले दिनांक 18 मार्च, 2011 को एक निजी कार्यक्रम में सुबह नकार दिया और अपराह् सदन में भी अपना इसी आशय का बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा सांसदों को खरीदने के लिए किसी को अधिकृत नहीं किया गया था। अपनी सफाई में उन्होंने वर्ष 2009 के लोकसभा में चुनावों में अपनी पार्टी की विजय और विपक्ष की पराजय का भी उल्लेख किया। उनकी सफाई नितान्त हास्यास्पद है। क्या वे यह कह रहे हैं कि यदि कोई अपराधी चुनाव जीत लेता है, तो उसके विरुध्द लगाये गये सभी आरोप निरर्थक हो जाते हैं? चाहे आरोप हत्या या हत्या के प्रयास से जुड़े हों। प्रधानमंत्री ने अपनी सफाई में लोकसभा में कांग्रेस की सीटें 145 से बढ़कर 206 हो जाने और भाजपा की सीटें 138 से घटकर 116 रह जाने को सत्तारुढ़ दल की ईमानदारी का प्रमाण निरुपित किया। यह कैसी हास्यास्पद सफाई है? बाबा रामदेव का कालाधन विरोधी अभियान निश्चय ही सफल होगा। बाबा को सुप्रीम कोर्ट का समर्थन प्राप्त तो है ही, संपूर्ण जनमानस भी उनके साथ है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हसल अली खाँ के पचास हजार करोड़ रुपये काला धन विदेशी बैंको में जमा किये जाने के रहस्य का खुलासा हो जाने पर भी केन्द्र सरकार की निष्क्रियता पर खिंचाई की गयी है।

 

* लेखक वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक हैं।

 

5 COMMENTS

  1. राधारम जी बाबा रामदेव जी ने कांग्रेस की महान परम्परा में व्यवधान पैदा कर दिया है. कितने आराम से देश और देश के हित अपने देशी-और ख़ास कर विदेशी आकाओं को आराम से बेचे जा रहे थे. २ लाख से ऊपट किसान आत्महत्या कर चुके थे, बाकि का प्रबंध भी हो रहा था. देश का पैसा विदेशों के बैंकों में भेजना सरल हो इसके लिए इटली के बैंक देश में ही खुलवा दिए. अब यह तो न पूछिएगा कि इतालवी बैंकों पर ही विशेष कृपा क्यों. अपनों का कुछ अधिक ध्यान तो रखना ही होता है न.
    फ्रांस व अमेरिकी कंपनियों की गरीबी दूर करने के लिए उनके जंग खा रहे खतरनाक परमाणु संयंत्र खरीद रहे थे. देश के करोड़ों नकारा लोगों के भुखमरी से मरने के पुख्ता प्रबंध कर दिए थे. पर अचानक ये बाबा रणदेव न जाने कहाँ से बीच में टपक पड़े. मीडिया की सारी ताकत झोंक कर, अनेक दाँव-पेंच लड़ाकर भी यह बाबा काबू नहीं आया. जितना इसे निपटाने की कोशिश की यह उतना शक्तिशाली होता गया.
    अंतिम प्रहार हमने शिखंडी निति का अनुसरण करते हुए नासमझ अन्ना हजारे को आगे कर के किया. पर वह भी उलटा पडा. बाबा की विश्वसनीयता अधिक बढ़ गयी. अब तो लगता है कि जैसे पहले भी एक बार इटली में शरण ली थी ( पाक आक्रमण के समय ) , एक बार इटली के दूतावास में शरण ली थी ( इंदिरा जी के चुनाव हारने के बाद ) , उसी प्रकार भाग कर विदेशों में शरण न लेनी पड़े. पर ऐसा हुआ तो क्या, अरबों रुपया तो अनेक टेक्स हेवन कंट्रीज में जमा है, वक्त पर काम आयेगा. पार्टी और देश ? अरे काहेके देश और पार्टी , ये सब तो सत्ता और सम्पत्ती प्राप्ति के साधन हैं. जबतक काम आये ठीक है और जब उपयोगी न रहें तो जाए भाड़ में.

  2. आज देश की सबसे बड़ी समस्या है कला धन और भ्रस्टाचार इस समस्या के विरोध में खड़ा होने वाला देशभक्त समाजसेवक और जनसेवक है अगर कोई इस जनसेवक के विरोध में अपने निजी स्वार्थ के कारन खड़ा होता है तो वो देशद्रोही है मानवता विरोधी है स्वार्थलोलुप है माननीय दिग्विजय्सिंघ्जी और लालुप्रसदजी यही कर रहे है क्योकि बाबा ने जिस किसी मामले में आवाज उठाई कुछ विरोधी आवाजे जरूर उठी क्योंकि सूअर को गंदे नाले का पानी अच्छा लगता है इसका अर्थ ये तो नहीं की नाले की सफाई न की जाये और हो सकता सूअर इसके विरोध में खड़े हो जाये

  3. बिलकुल सही कहा आपने…बाबा रामदेव को अब ये भ्रष्ट नेता नहीं रोक सकते…इन चोरों की दाढ़ी में तिनका नहीं इनकी तो पूरी दाढ़ी ही तिनकों से बनी है…

  4. बिलकुल सही कहा आपने…बाबा रामदेव को अब ये भ्रष्ट नेता नहीं रोक सकते…इन होरों की दाढ़ी में तिनके नहीं इनकी तो पूरी दाढ़ी ही तिनकों से बनी है…

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