नई दिल्लीः दिल्ली के एक अस्पताल में बच्चों की मौतों की जांच कर रहे पांच सदस्यीय पैनल ने कहा है कि पिछले वर्ष दिसंबर से लेकर इस वर्ष 22 सितंबर तक एंटी डिप्थीरिया सीरम (एडीएस) की अनुपलब्धता से “स्थिति खतरनाक” हुई और अधिकतर मरीजों का इस संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण नहीं हो पाया।

दिल्ली के सरकारी मौलाना आजाद मेडिकल अस्पताल और केन्द्र सरकार के आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों वाली इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसमें से अधिकतर मरीजों की मौत हृदय संबंधी जटिलताओं और श्वसन संबंधी बाधाओं के कारण हुई।

न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार, उत्तरी दिल्ली के महापौर आदेश गुप्ता ने सितंबर के अंतिम सप्ताह में एक समिति का गठन किया जिसने 26 सितंबर को अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट को बुधवार को सदन के पटल पर पेश किया गया। इस रिपोर्ट के सौपें जाने के बाद भी डिप्थीरिया से मौतों के मामले सामने आए हैं।

गौरतलब है कि किंग्सवे कैंप के महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग अस्पताल में सितंबर में डिप्थीरिया से कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई, जो 2015 से इस माह मौत का सर्वाधिक आंकड़ा है। वहीं इस वर्ष सितंबर में भर्ती मरीजों की संख्या 223 है।

एनडीएमसी संचालित अस्पताल कसौली के सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआई) से एडीएस खरीदता है। रिपोर्ट के अनुसार, ”दो दिसंबर 2017 से 22 सितंबर 2018 के बीच की अवधि में अस्पताल में एडीएस की एक भी खुराक नहीं थी। इसमें यह भी कहा गया कि मेडिकल सुप्रीटेंडेंट (एमएस) गुप्ता ने उच्च प्राधिकारों (डीजीएचएस) को पत्र जारी करने में काफी वक्त लगाया और एडीएस की अनुपलब्धता की वास्तविक स्थिति के बारे में एनडीएमसी के आयुक्त को समय रहते जानकारी नहीं दी।

रिपोर्ट में कहा गया कि दस्तावेजों से पता चलता है कि अस्पताल के एमएस ने एडीएस की खरीद के लिए आठ निजी कंपनियों से निविदांए मांगी थीं।