नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने कहा कि अधिकांश पार्टियां अपने प्रचार के लिए इन्हीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग करती हैं क्योंकि अधिकांश जनता इन्ही माध्यमों का प्रयोग कर रही है। सोशल मीडिया पर बढ़ते फेक न्यूज को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने फेसबुक, ट्विटर और गूगल से करार किया है. यह करार आने वाले लोकसभा चुनाव में फेक न्यूज़ के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए किया गया है। इस करार के तहत ये कंपनियां चुनावों के दौरान पोस्ट किये जानेवाले सारे राजनीतिक कंटेट पर नज़र रखेंगी और फेक न्यूज को बढ़ावा देने वाले पोस्ट को अपनी टाइमलाइन से भी हटाएंगी।

पिछले महीने इन कंपनियों की चुनाव आयोग के साथ एक बैठक हुई थी। बैठक में चुनाव आयोग ने इन कंपनियों को निर्देश दिया कि चुनाव प्रचार खत्म होने से लेकर वोटिंग तक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोई भी पार्टी किसी भी तरह का कोई राजनीतिक प्रचार नहीं कर पाए, इस बात का इन कंपनियों को ध्यान रखना होगा।

चुनाव आयोग ने कहा कि वोटिंग से पहले राजनीतिक प्रचार पर रोक लगने के बाद भी पार्टियां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पैसे देकर इस पर प्रचार करने की कोशिश कर सकती हैं, इसीलिए इन प्लेटफॉर्मस को इस दौरान और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी।

सोशल मीडिया कंपनियों ने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया है कि वो चुनावों के दौरान पार्टियों द्वारा किसी तरह के भड़काऊ और नकारात्मक राजीनितक प्रचार को अपने प्लेटफॉर्म से हटाने को लेकर तत्पर रहेंगी। गूगल ने आयोग से कहा कि वो खास तौर पर यह ध्यान रखेगा कि किसी भी राजनीतिक पार्टी की बेवसाइट से किसी तरह की गलत खबर और भड़काऊ पोस्ट न डाली जाए।