नई दिल्लीः डोकलाम गतिरोध के करीब एक साल बाद भारत और चीन के शीर्ष रक्षा अधिकारियों के बीच हुई बैठक हुई। इसमें दोनों देश रक्षा और सुरक्षा वार्ता करने पर सहमत हुए। दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने और वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बनी सहमतियों को लागू करने पर राजी हुए। भारत और चीन के बीच बनी सहमतियों से यह साफ है कि पाकिस्तान को जरूर झटका लगा होगा।

सिक्किम के डोकलाम सेक्टर में 73 दिन चले गतिरोध के करीब एक साल बाद 13 नवंबर को नौंवी वार्षिक रक्षा एवं सुरक्षा वार्ता हुई। भारतीय दूतावास की ओर से गुरुवार को जारी बयान के अनुसार, दोनों देशों के रक्षा प्रतिनिधिमंडलों के बीच हुई इस बातचीत में भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा सचिव संजय मित्रा ने, जबकि चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय सैन्य आयोग विभाग के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ ने किया।

रक्षा एवं सुरक्षा वार्ता के परिणाम के संबंध में सवाल करने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच सीमा संबंधी मामलों के प्रबंधन और सीमा पर शांति, स्थिरता बनाए रखने को लेकर विचारों का आदान-प्रदान हुआ। उन्होंने कहा, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने व द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए हमें लगता है कि दोनों पक्ष नेताओं के बीच बनी सहमति पर आगे बढ़ेंगे।

सेनाओं के बीच संवाद को बढ़ावा मिलेगा

बातचीत के दौरान दोनों पक्षों के बीच रक्षा आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और दोनों देशों की सेनाओं के बीच विभिन्न स्तरों पर संवाद को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। बातचीत के बाद मित्रा ने बुधवार को चीन के स्टेट काउंसिलर और रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे से मुलाकात की।