नई दिल्ली, । मनोज वशिष्ठ मुठभेड़ मामले में शामिल सभी पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया है, वहीं मामले की जांच विजिलेंस टीम से कराने के आदेश दिए गए हैं। दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता राजन भगत के मुताबिक मृतक के परिजनों ने जांच दल में शामिल पुलिसकर्मियों पर जांच पर असर डालने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने की मांग की थी, जिसके बाद यह क़दम उठाया गया है ।दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने सोमवार को कहा था कि मनोज मुठभेड़ मामले की जांच को संयुक्त सीपी रैंक के अफसर जांच को लीड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही रिपोर्ट को कोर्ट में सौंपी जाएगी।मृतक के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने योजना के तहत मनोज की हत्या की है । इससे पहले मृतक के परिजनों ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर सीबीआई जांच की भी मांग की। मुलाक़ात के दौरान गृहमंत्री ने निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया। साथ ही उन्होंने एसआईटी जांच, जरूरत पड़ने पर सीबीआई जांच के भी संकेत दिए। इसके अलावा परिवार की मांग पर उन्होंने पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी का भी भरोसा दिया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मनोज को एक गोली लगी थी जो उसके सिर के आर पार हो गई थी ।वहीं सीसीटीवी फुटेज में दिखाया गया है कि मनोज अपने पांच अन्य साथियों के साथ टेबल पर बैठा था, जिसमें तीन पुरूष और दो महिलाएं थीं। इसी दौरान स्पेशल सेल के 9 लोग रेस्टोरेंट में दाखिल हुए और मनोज वशिष्ठ को घेर लिए। एक पुलिसकर्मी द्वारा मनोज के कंधे पर हाथ रखते ही वह भागने की कोशिश करने लगा, लेकिन स्पेशल सेल के लोग उस पर झपट पड़े। हाथापाई के दौरान मनोज पर गोली चली और वह वहीं ढेर हो गया।हालांकि मनोज वशिष्ठ के परिजनों ने इस वीडियो फुटेज को फ़र्ज़ी करार दिया है । साथ ही कहा है कि यदि मनोज भागने की कोशिश कर रहा था, तो उसके पैर में गोली क्यों नहीं मारी, सिर में गोली क्यों मारी गई।
गौरतलब है कि दिल्ली के राजेंद्र नगर इलाक़े के सागर रत्ना रेस्त्रां में शनिवार की रात दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के द्वारा कथित मुठभेड़ में मनोज मारा गया था । पुलिस के अनुसार, मनोज पर दिल्ली, मुंबई और चंडीगढ में हत्या का प्रयास व धोखाधड़ी के 50 से ज्यादा मामले दर्ज थे।