नई दिल्लीः भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि पंजाब में आतंकवाद का खतरा नहीं है, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है। सेना प्रमुख चंडीगढ़ से 250 किलोमीटर दूर मामुन कैंटोनमेंट में एक समारोह में कहा, ‘पंजाब में ज्यादा खतरा (आतंकवाद का) नहीं है, लेकिन हमें इस संबंध में सजग रहने की जरूरत है। बेहतर है कि हम पहले ही सावधान रहे।’ अन्य देशों में अलगाववादी और खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा शुरू किए गए ‘मत संग्रह 2020’ अभियान का हवाला देते हुए जनरल रावत ने कहा कि सरकारें (केंद्र और पंजाब की) इस अभियान से पूरी तरह से अवगत हैं, और उचित कार्रवाई कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार इस पर पूर्ण कार्रवाई करेगी। हम भी पूरी तरह से अवगत हैं कि क्या चल रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री (अमरिंदर सिंह) इस बारे में खासतौर से चिंतित हैं। वह यह सुनिश्चित करने के लिए सीधी कार्रवाई कर रहे हैं कि पंजाब में हिंसा ना फैले।’ उन्होंने कहा, ‘पंजाब के लोगों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हिंसा नहीं फैले। उन्हें विद्रोह को खत्म करना होगा जबकि बाहरी इसे फैलाना चाहेंगे। यहां के लोग बहुत मजबूत हैं।’

थलसेना प्रमुख बिपिन रावत ने सोमवार को कहा कि सरकार की नीति है कि कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले लोगों को निष्प्रभावी कर दिया जाना चाहिए। सेना का ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि कश्मीरी युवक आतंकवाद से नहीं जुड़ें।

दो दिवसीय यात्रा पर पठानकोट आए थल सेना प्रमुख ने यहां दिव्यांग सैनिकों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा, घाटी में हमारा ध्यान आतंकवादियों पर है। सेना का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि युवक आतंकवाद से नहीं जुड़ें। रावत ने कहा कि सेना का तरीका यह है कि वह युवक के परिवार से संपर्क करती है और उनसे कहती है कि वे युवक को आत्मसमर्पण करने के लिए कहें। सेना उन्हें एक मौका दे रही है। थल सेना प्रमुख ने कहा कि अगर इसके बाद भी लोग नहीं सुधरते और हिंसा में शामिल रहते हैं तो उन्हें निष्प्रभावी बनाने का विकल्प ही हमारे पास बचता है। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत-पाकिस्तान के साथ जैसे को तैसा की नीति का अनुसरण कर रहा है, रावत ने कहा कि नीति बदलती रही है।