न्यायालय का यह फैसला सरकार में राजपत्रित अधिकारी महिला की याचिका पर आया है। याचिका में महिला ने संरक्षकता याचिका के लिए पिता की अनुमति की अनिवार्यता को चुनौती दी थी। आमतौर पर ऐसे मामलों में पिता की सहमति लेने के लिए उसे एक नोटिस भेजा जाता है। याचिकाकर्ता के मुताबिक मुश्किल से दो माह साथ रहे शख्स को पता भी नहीं है कि उसका कोई बच्चा है।