नई दिल्लीः हमारे ग्रंथों में गंगा का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। ग्रंथों के मुताबिक, गंगा का अर्थ है, बहना. गंगा भारत की पहचान है और देश के आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को पिरोने वाली एक मूलभूत डोर भी है।
देश के सबसे पवित्र स्थानों में शुमार ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग और काशी, गंगा के तट पर स्थित हैं।इसके अलावा केदारनाथ, बद्रीनाथ और गोमुख गंगा और उसकी उपनदियों के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों में से एक हैं। जिन चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है, उनमें से दो शहर हरिद्वार और प्रयाग गंगा तट पर स्थित हैं।
देश की सबसे प्राचीन और लंबी नदी गंगा उत्तराखंड के कुमायूं में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद से निकलती है। गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊंचाई समुद्र तल से 314० मीटर है। उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक गंगा विशाल भू-भाग को सींचती है। गंगा भारत में 2,071 किमी और उसके बाद बांग्लादेश में अपनी सहायक नदियों के साथ 1० लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है।।
जहां तक प्रदूषण की बात है तो गंगा ऋषिकेश से ही प्रदूषित हो रही है। गंगा किनारे लगातार बसायी जा रही बस्तियों चन्द्रभागा, मायाकुंड, शीशम झाड़ी में शौचालय तक नहीं हैं। इसलिए यह गंदगी भी गंगा में मिल रही है। कानपुर की ओर 400 किमी उलटा जाने पर गंगा की दशा सबसे दयनीय दिखती है। इस शहर के साथ गंगा का गतिशील संबंध अब बमुश्किल ही रह गया है। ऋषिकेश से लेकर कोलकाता तक गंगा के किनारे परमाणु बिजलीघर से लेकर रासायनिक खाद तक के कारखाने लगे हैं। जिसके कारण गंगा लगातार प्रदूषित हो रही है।