आजाद भारत के इतिहास में पिछले साल आज का दिन एक निर्णायक मोड़ का साक्षी रहा। इस दिन श्री नरेन्द्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी के संसदीय दल ने लोकसभा चुनाव में युग-परिवर्तक विजय के बाद अपना नेता चुना। प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेन्द्र मोदी ने पहले दिन से ही प्रमाणित किया कि वह एक आसाधारण वैश्विक राजनेता हैं। भारत को आधुनिक और हर तरह से मजबूत बनाने की अपनी व्यापक दृष्टि, नई सोच, बेजोड़ जीवटता, जूनून और प्रतिबद्धता तथा भारत की क्षमताओं को यथार्थ में बदलने के लिये उनके द्वारा उठाये गये सूझ-बूझ भरे कदमों ने भारत को लेकर दुनिया को अपना नजरिया को बदलने पर मजबूर कर दिया।देश को पॉलिसी पेरालिसिस से मुक्त कराकर नरेन्द्र मोदी ने हर लिहाज से एक साफ-सुथरी सक्षम और गतिशील सरकार दी, जो पूरी तरह लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित और कार्य-कुशल है। सरकार चलाने के पुराने पड़ चुके और जड़ता की हद तक पहुँच चुके ढर्रे को बदलने के लिये प्रतिबद्ध श्री मोदी ने एक नयी कार्य-संस्कृति विकसित की, जिसमें लाल फीताशाही और प्रशासनिक क्लिष्टता नहीं है।श्री मोदी द्वारा वित्तीय समावेशन के लिये लागू की गई प्रधानमंत्री जन-धन योजना, भारत में मेन्युफेक्चरिंग क्रांति लाने के लिये मेक इन इंडिया, नीतिगत मामलों में लोगों के मत का समावेश करने की दृष्टि से डिजिटल इंडिया, युवाओं को अधिक रोजगार पाने योग्य बनाने के लिये पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना और पृथक कौशल विकास विभाग की स्थापना, गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिये नमामि गंगे, 2020 तक सभी गरीब परिवारों को मकान देने के लिये सरदार पटेल आवास योजना, सभी गाँव में बिजली के लिये दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और हाल ही में आम लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने के लिये शुरू की नई तीन योजना, छोटे उद्यमियों की मदद के लिये मुद्रा बैंक की स्थापना, बेटियों की सुरक्षा और बेहतर परवरिश के लिये बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना, ईज ऑफ डूईंग बिजनेस में सुधार के लिये प्रक्रियाओं को आसान बनाना, विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के लोगों की भारत के विकास में मदद लेने की पहल जैसे उनके अनूठे कदम उनकी मौलिक सोच और विलक्षण कार्यशैली के परिचायक हैं।अपनी प्रसांगिकता खो चुके योजना आयोग की जगह श्री मोदी ने नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफार्मिंग इंडिया (नीति) का गठन किया। इससे तेजी से बदलते वैश्विक परिवेश और संदर्भ के अनुरूप भारत की नीतियों और उन्हें लागू करने के तौर-तरीके में प्रभावी बदलाव लाया जा सके। यह कदम भी श्री मोदी की मौलिक सोच का ही परिणाम है। नीति आयोग के गठन से राज्यों को अपनी आवश्यकताओं, संसाधनों और सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों के अनुरूप योजनाएँ बनाने और उन्हें लागू करने के साथ-साथ धनराशि खर्च करने की स्वतंत्रता भी मिली है। श्री मोदी ने समय-समय पर विभिन्न मंचों से यह बात बहुत जोर देकर कही है कि भारत की शक्ति उसके राज्यों में निहित है। अपनी इसी सोच के अनुरूप उन्होंने केन्द्रीय करों के विभाजनीय पूल में से 32 की जगह 42 प्रतिशत राशि राज्यों को देने का क्रांतिकारी कदम उठाया।एक सच्चे लोकतांत्रिक नेता होने के नाते श्री मोदी जी ने हमेशा इस बात पर जोर दिया है कि सभी राजनैतिक विचारधारा के नेता देश के विकास को लेकर एकमत और एकजुट हों। वह टीम इंडिया के पक्षधर हैं, जिसमें सभी राजनैतिक धाराओं के नेता वैचारिक मतभेद भुलाकर भारत के विकास के लिये मिलकर काम करें। उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नीति आयोग की परिषद् में शामिल किया है। वह राज्यों के बीच विकास के मामलों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के पक्षधर हैं। इससे भारत का समग्र विकास होगा।बहुत लम्बे समय के बाद भारत को श्री मोदी के रूप में एक ऐसा वैश्विक नेता मिला है, जिसकी दृष्टि उदार है और जो दूसरे के मतों का पूरा सम्मान करता है। सभी राज्यों के नेताओं को देश में चल रही बदलाव की लहर का पूरा लाभ उठाते हुए भारत को ज्यादा से ज्यादा से मजबूत बनाने के लिये कंधे से कंधा मिलाकर काम करना चाहिये।
(लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं)