नई दिल्लीः हर दिन बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दामों पर केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। केंद्र ने गुरुवार को जैसे ही तेल के दामों में कटौती करने की घोषणा की वैसे ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन दामों में कम से कम 10 रुपये की राहत होनी चाहिए थी। इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलता। हालांकि, इस मामले में आगे की रणनीति दिल्ली सरकार गैर भाजपा शासित राज्यों के आधार पर तय करने का मन बना रही है।

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में वाहनों के लिए प्रयोग होने वाले पेट्रोल-डीजल की बदौलत दिल्ली सरकार को प्रति वर्ष करीब 550 करोड़ रुपये की आय होती है। सूत्रों ने बताया कि इस टैक्स में कमी लाने के लिए अब तक दिल्ली सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है। दिल्ली में पेट्रोल पर 27 प्रतिशत व डीजल पर 16.75 प्रतिशत प्रति लीटर की दर से टैक्स लगता है। यह सरकार की आय का एक बड़ा हिस्सा है। वित्तीय हालात पर चर्चा के बाद ही इस पर कोई आखिरी निर्णय लिया जाएगा।

बताया जा रहा है कि यह टैक्स उत्तर प्रदेश, हरियाणा व दिल्ली में एक समान ही रखा गया है। जबकि महाराष्ट्र, तमिलनाडु व कर्नाटक में यह टैक्स अधिक है। इस वजह से वहां पेट्रोलियम पदार्थों के दाम अधिक हैं। यहां पर प्रति लीटर के हिसाब से दरें 90 रुपये को भी पार कर गई हैं।

मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ाई और आज मात्र 2.50 रुपए कम कर दी? ये तो धोखा हुआ। केंद्र सरकार को कम से कम 10 रुपए प्रति लीटर की कमी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए प्रति लीटर से बढ़ाकर 19.48 रुपए कर दी, इसीलिए कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट के बावजूद भारत में पेट्रोल के दाम बढ़ रहे हैं।