नई दिल्लीः संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को कहा कि युद्धग्रस्त यमन बच्चों के लिए ‘जीता-जागता नरक बन चुका है, जहां हजारों बच्चे कुपोषण और उन बीमारियों से हर साल मर रहे हैं, जिनका आसानी से इलाज किया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी यूनिसेफ में दक्षिण एशिया और उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रीय निदेशक गीर्ट कैप्लेयर ने संबंधित पक्षों से इस महीने के आखिर में होने वाली शांति वार्ता में शामिल होने और संघर्षविराम पर राजी होने का आह्वान किया। उन्होंने जॉर्डन की राजधानी अम्मान में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया, ‘यमन आज के समय में जीता-जागता नरक बन चुका है– न केवल 50 से 60 फीसदी बच्चों के लिए, बल्कि यमन हर लड़के और लड़की के लिए एक नरक है।

उन्होंने बताया कि यह आंकड़े हम सभी को यह समझने के लिए एक चेतावनी है कि स्थिति कितनी गंभीर हो चुकी है।यूनिसेफ के मुताबिक, यमन में पांच साल से नीचे की उम्र के करीब 18 लाख बच्चे भयंकर रूप से कुपोषण से ग्रस्त हैं, उनमें से गंभीर रूप से प्रभावित चार लाख बच्चों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है। यमन में हर एक साल 30,000 बच्चों की जान कुपोषण की वजह से चली जाती है जबकि हर एक 10 मिनट में एक बच्चे की मौत उन बीमारियों से हो जाती है, जिनका इलाज आसानी से किया जा सकता है।