नई दिल्लीः मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने के साथ सभी की नजर क्षेत्रीय दलों की भूमिका पर टिक कई है। सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की लड़ाई को क्षेत्रीय पार्टियां अपने लिए एक अवसर के तौर पर देख रही है। बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है। बसपा से कांग्रेस व सपाक्स जैसे संगठन बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं।

प्रदेश में चुनाव अमूमन दोनों पार्टियों के बीच हुए हैं। तीसरा मोर्चा या छोटे दल चुनाव परिणाम पर कोई खास असर नहीं डाल पाए हैं। पर इस बार स्थितियां कुछ बदली हुई हैं, यही भाजपा और कांग्रेस की चिंता है। पिछले चुनाव में बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने कई सीटों पर दस हजार से अधिक वोट हासिल किए थे। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति में क्षेत्रीय पार्टी को मिला वोट अहम भूमिका निभाएगा।

बसपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और सपा के साथ सामान्य पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कर्मचारी एवं अधिकारियों का संगठन (सपाक्स) और जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) भी किसी चुनौती से कम नहीं है। सपाक्स सवर्ण समाज का नेतृत्व कर रहा है। वही आदिवासी जयस से जुड़ रहे हैं। ऐसे में सवर्णों का संगठन सपाक्स से जहां भाजपा को नुकसान होगा, वहीं जयस कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा सकता है।

मध्य प्रदेश चुनाव रणनीति से जुड़े कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि से हमें लाभ होगा। वहीं, बसपा से गठबंधन न होने से सवर्ण मतदाताओं का समर्थन मिल सकता है। उनके मुताबिक, किसान आंदोलन, बेरोजगारी, शिक्षा में घोटाला और सवर्णों की नाराजगी हमारे पक्ष में है। पर इसके लिए पार्टी को इन वर्गों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनानी होगी।

कांग्रेस नेता मानते है कि मध्य प्रदेश चुनाव में क्षेत्रीय दलों से पार्टी को 50 से अधिक सीट पर नुकसान हो सकता है। आदिवासी संगठन जयस आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी का गणित बिगाड़ सकता है। उत्तर प्रदेश से लगे क्षेत्रों में बसपा और सपा का अच्छा खासा असर है। महाकौशल में गोंडवाना पार्टी का असर है। इसका क्षेत्र की करीब 10 सीट पर असर है। वर्ष 2003 के चुनाव में गोंडवाना पार्टी ने तीन सीटें जीती थी।