नई दिल्ली,28 मई (हि. स.)। स्वीडन के एक समाचारपत्र में प्रकाशित विवादास्पद इंटरव्यू से पैदा हुई तकरार के वाबजूद राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी की तीन दिवसीय स्वीडन यात्रा का कार्यक्रम पूर्ववत है। राष्ट्रपति स्वीडन और बेलारूस की छह दिवसीय यात्रा पर 31 मई को रवाना होंगे।
श्री मुख़र्जी 31 मई से 2 जून तक स्वीडन में रहेंगे तथा बाद में 4 जून तक बेलारूस में प्रवास करेंगे। दुर्भाग्यवश बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेंको की मां का गत मंगलवार को निधन होगया हालंकि इससे श्री मुख़र्जी के यात्रा कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ा है। राष्ट्रपति ने श्री लुकाशेंको को भेजे गए एक शोक संदेश में उनके साथ संवेदना व्यक्त की है। किसी भारतीय राष्ट्रपति की स्कॅन्डिनेवियन देश स्वीडन और बेलारूस की यह पहली यात्रा होगी। विदेशमंत्रालय में सचिव(पश्चिम) नवतेज सरना के अनुसार राष्ट्रपति के दल में रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री हंसराज अहीर और राज्यसभा में नेता विपक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद भी शामिल हैं। भारतीय दल में छह विश्वविद्यालयों के कुलपति और 60 उद्यमी भी हैं। उन्होंने कहाकि इस यात्रा से दोनों देशों के संबंधों में और मजबूती आएगी। श्री मुख़र्जी स्वीडन के राजा कार्ल गुस्ताफ और प्रधानमंत्री स्टेफन हॉफ़वेन से द्विपक्षीय मामलों पर वार्ता करेंगे। दोनों देशों की शिक्षण संस्थाओं के बीच शैक्षिक आदान प्रदान के करार होने की संभावना है। राष्ट्रपति की यात्रा के पहले स्वीडन के एक अखबार में प्रकशित श्री मुख़र्जी के साक्षात्कार को लेकर पैदा हुआ हो गया है। इंटरव्यू में उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि बोफोर्स तोपों में दलाली का मुद्दा मीडिया की उपज था तथा इसे घोटाला कहना सही नहीं है। श्री मुख़र्जी ने कथित रूप से यह भी कहा था कि भारत के किसी न्यायालय ने इस मामले में किसी को दोषी नहीं ठहराया है। उल्लेखनीय हैकि प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में स्वीडन से बोफोर्स तोपों की खरीद में दलाली दिए जाने को लेकर भारत में बहुत बड़ा विवाद पैदा हुया था तथा श्री गांधी को इसकी भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी थी।
स्वीडन के अख़बार ‘डगेंस न्यूतेरहड’ के संपादक पीटर वोलोदर्सकी ने राष्ट्रपति यात्रा के पहले उनसे इंटरव्यू किया था जिसमें श्री मुख़र्जी ने अनौपचारिक रूप से कुछ टिप्पणियां कीं थीं। राष्ट्रपति की यह टिप्पणियां मूल इंटरव्यू का हिस्सा नहीं थीं फिर भी अखबार ने इन्हें छाप दिया।
पूरे प्रकरण में सबसे गंभीर बात यह हैकि स्वीडन में भारत की राजदूत बनश्री बोस हैरिसन ने अखबार के संपादक से आग्रह किया थाकि वह विवादास्पद टिप्पणियां नहीं छापे। राजदूत ने संपादक को एक पत्र लिख कर आगाह किया था कि अनौपचारिक बातचीत को प्रकाशित करना पत्रकारिता के मूल्यों के खिलाफ और अनैतिक होगा। इससे राष्ट्रपति की स्वीडन यात्रा खटाई में भी पड़ सकती है। अखबार के संपादक ने राजदूत के इस अनुरोध को नजरअंदाज करते हुए पूरी बातचीत को प्रकाशित कर दिया।
राष्ट्रपति भवन की ओर से इस पूरे विवाद पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की गयी है हालांकि रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कल केवल इतना कहा था कि बोफोर्स तोपें अच्छी हैं।