दिल्ली,। थल सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग मणिपुर में हुए उग्रवादी हमले के बाद हालात का जायज़ा लेने के लिए शुक्रवार को इम्फाल पहुंचे । गुरूवार को चंदेल जिला में हुए इस हमले में सेना की डोगरा रेजिमेंट के 20 जवान शहीद हो गए जबकि 11 गंभीर रूप से घायल हो गए थे । यह मणिपुर में बीते 33 साल में सेना पर सबसे खतरनाक हमला हुआ है । हमले में विदेश में निर्मित आरपीजी यानी रॉकेट लॉन्चर्स का इस्तेमाल हुआ और यह पहली बार हुआ की उग्रवादियों ने इस तरह के आधुनिक हथियार इस्तेमाल किया ।सूत्रों के माने तो घटना स्थल पर करीब 50 उग्रवादियों ने भारी हथियारों के साथ सेना पर घात लगाकर हमला किया। उनके पास भारी मात्रा में यूएस मेड आरपीजी (रॉकेट लॉन्चर्स) मौजूद था, जिनसे आतंकियों ने सेना के दो ट्रकों को निशाना बनाया। मारे गए अधिकतर सैनिकों के शव पूरी तरह से जल गए। जहां यह वारदात हुई, वह म्यामांर बॉर्डर से महज दो घंटे की दूरी पर है। घटना के बाद बॉर्डर के इलाके को सील कर दिया गया है। सुरक्षा एजेंसियों को यह शक है कि कहीं हमलावर सीमा के दूसरी ओर तो न चले जाएं, इस वजह से भारत हमलावरों के खिलाफ ज्वाइंट ऑपरेशन छेड़ने के लिए म्यांमार के साथ भी कॉर्डिनेट कर रहा है। गुरूवार को घटना के बाद इमरजेंसी मीटिंग में केंद्र सरकार ने रातों रात हमलावरों के खिलाफ एक्शन लेने की मंजूरी दे दी थी। साथ में यह भी हिदायत दी है कि इनके लोकेशन को आम नहीं किया जाए। सूत्रों के मुताबिक सेना को शक है कि भारत और म्यामार की सीमा के करीब माउंट सारामती के 13 हजार फुट की ऊंचाई पर बसे गांवों में ये सभी हमलावर छिपे हो सकते हैं।गुरूवार को घटना के बाद इमरजेंसी मीटिंग के अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने की। इस मीटिंग में राजनाथ के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग मुख्य रूप से शामिल थे। सूत्रों के हवाले से खबर है की बैठक में मामले की जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपने का फैसला हुआ है।