नई दिल्ली,। दिल्ली नगर निगम ने सफाईकर्मियों के साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रस्तावित ओपन डायलॉग को अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप बताया है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उत्तरी, पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली के महापौर ने एक सुर में सरकार के इस कदम को अंसवैधानिक करार देते हुए कहा कि वे इसके खिलाफ न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि यह दिल्ली सरकार के लिए शर्मिंदगी का विषय है कि मुख्यमंत्री स्वयं तो केन्द्र पर उनकी सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हैं पर उनकी सरकार ने स्वयं नगर निगम नेतृत्व की अवहेलना कर सीधे निगम आयुक्तों को पत्र भेजकर अपने कर्मियों को रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री से रूके हुये वेतन पर संवाद के लिए भेजने का निर्देश देते हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता और निगम कर्मचारी अब मुख्यमंत्री के घडि़याली आंसुओं को भलिभांति पहचानते हैं।दक्षिणी दिल्ली के महापौर सुभाष आर्य, पूर्वी दिल्ली के महापौर हर्ष मल्होत्रा और उत्तरी दिल्ली के महापौर रविन्द्र गुप्ता ने कहा कि 2012 के दिल्ली नगर निगम एक्ट संशोधन के बाद दिल्ली में नगर निगम सेवायें बनाये रखना और उनके लिए आर्थिक साधन सुलभ कराना दिल्ली राज्य सरकार का दायित्व है। उन्होंने कहा कि बजाये अपने इस संवैधानिक दायित्व को निभाने के चाहे पिछली कांग्रेस सरकार हो या वर्तमान अरविन्द केजरीवाल सरकार दोनों राजनीतिक द्वेष के चलते हमारी देय निधियों को भी रोकते रहते हैं।तीनों महापौरों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने अब वह स्थिति ला दी है कि जहां हम तीनों नगर निगम संयुक्त रूप से दिल्ली सरकार से अपनी देय निधियां पाने और चौथे वित्त आयोग की सिफारिसों को लागू करवाने के लिए न्यायालय की शरण में जाने पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि दिल्ली सरकार बजाये कर्मचारियों से बकाया वेतन पर संवाद जैसी औछी राजनीति करने के दिल्ली नगर निगमों की देय निधियों का भुगतान करे, तीसरे वित्त आयोग की सिफारिसों के अनुरूप हमको आर्थिक साधन दे तथा चौथे वित्त आयोग की रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखे।