
बैंकर से लेखक बने चेतन भगत का कहना है कि यह समय नारीवाद पर विचार-विमर्श और इस बारे मे जागरूकता फैलाने के लिए उपयुक्त है। चेतन भगत के ताजा उपन्यास ‘वन इंडियन गर्ल’ की कहानी एक लड़की के आसपास घूमती है।
भगत ने कहा, ‘‘मैं खुशनसीब हूं। मुझे लगता है कि यह बिलकुल सही समय है। नारीवाद एक ऐसा मामला है, जिसका समय आ गया है। निर्भया कांड के बाद महिला अधिकारों का मामला जोर पकड़ गया है।
भगत ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, ‘‘लोग इन मुद्दों को समझना चाहते है। पिंक और क्वीन जैसी फिल्में अच्छी चल रही हैं और मुझे लगता है कि इन मसलों पर बात करने का यह सही समय है।’’ इस 42 वर्षीय लेखक का कहना है कि ‘नारीवाद’ को लेकर लोगों में काफी भ्रम की स्थिति बनी हुई है और इस शब्द का बड़े पैमाने पर दुरूपयोग और इसे गलत तरीके से परिभाषित किया जाता है।
लेखक का मानना है, ‘‘अब और समझ की जरूरत है ताकि इस नारीवाद शब्द को लेकर बना भ्रम दूर हो सके। नारीवादी की छवि ऐसी है कि एक ऐसा व्यक्ति जो पुरूषों के खिलाफ राय रखता हो। दरअसल इसका मतलब सिर्फ इतना सा है कि महिलाओं को भी पुरूषों की तरह अपने सपनों को हासिल करने का हक होना चाहिए।’’ भगत कहते हैं, ‘‘आप एक पारंपरिक लड़की हो सकती हैं, जो चाहती है कि उसका पति उसे प्यार करे, उसका ब्वॉय फ्रेंड उसे फोन करे..और फिर भी आप नारीवादी हो सकती है, इसके लिए कोई अन्य प्रजाति बनने की जरूरत नहीं है।
( Source – पीटीआई-भाषा )