छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना में कल दो इलाकों के रहवासियों के बीच खेले जाने वाले परंपरागत खूनी गोटमार मेले के मद्देनजर प्रशासन ने पांढुर्ना में आज से ही धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दी है, ताकि इसे शान्ति पूर्ण तरीके से मनाया जा सके।
जिले के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी ने बताया, ‘‘गोटमार मेले के लिए सुरक्षा के व्यापक और कड़े इंतजाम किये गए हैं। क्षेत्र में धारा 144, निषेधाज्ञा लगाई गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा क्षेत्र में शराब बिक्री और हथियार लेकर चलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है, ताकि इसे शान्ति पूर्ण तरीके से मनाया जा सके।’’ तिवारी ने बताया कि पुलिस प्रशासन द्वारा इलाके में लगातार जांच की जा रही है। एहतियात के तौर पर अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र की भी व्यवस्था की गई है।
पांढुर्ना में गोटमार मेले की 300 वर्ष पुरानी परम्परा आज भी चली आ रही है, जिसमें सवारगाव और पांढुर्ना के रहवासियों के बीच जाम नदी के बीच पत्थरों से युद्ध किया जाता है। इस वर्ष यह गोटमार खेल 22 अगस्त को खेला जाएगा। । दुनिया के सबसे खूनी खेलों में शामिल इस मेले में पिछले कुछ वर्षों में 15 लोगों की मौत हुई है, जबकि 500 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं।
स्थानीय पौराणिक कथा के अनुसार जाम नदी के दोनों ओर के लोगों के बीच खेले जाने वाले इस खूनी खेल के पीछे एक प्रेम कहानी है। पांढुर्ना का एक लड़का नदी के दूसरे छोर पर बसे गांव की एक लड़की से प्यार करता था। उनकी इस प्रेम कहानी पर दोनों गांव के लोगों को एतराज था।
एक दिन सभी के विरोध को धत्ता बताकर लड़का-लड़की को उसके गांव से भागकर लौट रहा था। दोनों ने आधी नदी तक का ही सफर तय किया था कि दोनों ओर के ग्रामीणों को इसकी सूचना मिल गई और प्रेमीजोड़े पर दोनों तरफ से पत्थरों की बरसात होने लगी। इस पथराव में दोनों की मौत नदी के मझधार में हो गई। अपनी इस कथा के चलते ही आज भी इन दोनों गांव के लोग हिंसक गोटमार का खेल खेलते हैं।
( Source – PTI )