
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को कथित गैंगरेप के मामले में सत्र अदालत से मिली जमानत पर आज स्थगनादेश दे दिया।
मुख्य न्यायाधीश दिलीप बी भोसले ने अपर महाधिवक्ता वी के शाही की ओर से दायर राज्य सरकार की अर्जी पर उक्त आदेश दिया। अर्जी में प्रजापति और मामले के दो सह आरोपियों को मिली जमानत रद्द करने का आग्रह किया गया है।
शाही की दलील थी कि सत्र अदालत ने अभियोजन पक्ष को पर्याप्त समय नहीं दिया। उनका कहना था कि जमानत अर्जी में प्रजापति ने कहा है कि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं लंबित है, लेकिन उनके खिलाफ छह मामले लंबित है। उल्लेखनीय है कि महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने कल भाषा से कहा था, ‘‘उत्तर प्रदेश सरकार प्रजापति की जमानत रद्द कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि सरकार पाक्सो अदालत के जमानत आदेश को चुनौती देने से पहले सभी आवश्यक दस्तावेजों का अध्ययन कर रही है।
प्रजापति और उनके दो कथित साथियों को मंगलवार को पाक्सो के विशेष न्यायाधीश ओम प्रकाश मिश्र की अदालत ने बलात्कार के मामले में जमानत दे दी थी।
पूर्व मंत्री को यहां मिली राहत हालांकि ज्यादा देर कायम नहीं रह सकी क्योंकि बुधवार को एक अन्य अदालत ने अलग मामलों में प्रजापति को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
( Source – PTI )