
केंद्रीय वित्त मंत्रालय से संबद्ध संसद की एक सलाहकार समिति ने बुधवार को यह सुझाव दिया कि ऋण चुकाने में विफल घोषित किए जाने वालों के नाम सार्वजनिक किए जाएं। समिति ने साथ ही जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफाउल्टर) पर सख्त कार्रवाई करने का भी सुझाव दिया। वित्त मंत्रालय के बुधवार के एक बयान के मुताबिक, सरकारी बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों पर विचार करने के लिए समिति की वित्त मंत्री अरुण जेटली और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक में यह सुझाव दिया गया।
बयान में कहा गया, “सरकारी बैंकों द्वारा बड़ी कंपनियों को ऋण दिए जाने के मामले में वसूली प्रक्रिया पर एक समिति गठित की जानी चाहिए।” वहीं जेटली ने बैठक में कहा कि सरकार ने कर्ज वापसी में विफलता से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने साथ ही कहा कि सरकार ने इस्पात, कपड़ा, बिजली और सड़क जैसे तनावग्रस्त क्षेत्रों में जान फूंकने के लिए भी कई कदम उठाए हैं और गत तथा वर्तमान वित्त वर्ष में बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 25 हजार करोड़ रुपये (प्रत्येक वर्ष) आवंटित किए हैं।