
पूरे 16 साल तक की भूख हड़ताल के बाद भी मणिपुर की ‘लौह महिला’ इरोम शर्मिला की अच्छी सेहत का राज उनकी इच्छाशक्ति और रोजाना योगा5यास करने में छिपा है। इस भूख हड़ताल के दौरान उन्हें नाक से जबरन तरल भोजन दिया जाता था।
शर्मिला के सहयोगियों और उनके परिवार के सदस्यों के अनुसार, शर्मिला ने 1998 में योग सीखा था। इसके दो साल बाद वह भूख हड़ताल पर बैठ गई थीं। यह भूख हड़ताल कल खत्म हो गई।
शर्मिला के भाई इरोम सिंहजीत ने पीटीआई भाषा को बताया, ‘‘यह उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और रोजाना योगा5यास की आदत ही है, जिसने उन्हें शारीरिक रूप से फिट रखा है।’’ नब्बे के दशक में युवती रहीं शर्मिला को प्राकृतिक चिकित्सा के विषय ने बहुत प्रभावित किया। उन्होंने इससे जुड़ा कोर्स शुरू किया। इसमें प्राकृतिक उपचार के माध्यम के रूप में योग भी शामिल था।
शर्मिला ने अपनी जीवनीकार दीप्ती प्रिया महरोत्रा को किताब ‘बर्निंग ब्राइट’ के लिए बताया था, ‘‘योग फुटबॉल की तरह नहीं है। यह अलग है। यदि कोई व्यक्ति योग करता है तो यह उसे लंबा जीवन जीने में मदद कर सकता है। योग करके आप 100 साल तक जी सकते हैं। यह फुटबॉल जैसे अन्य खेलों के जैसा नहीं है।’’ उन्होंने याद किया कि उन्होंने 1998-99 में योगासन करने शुरू कर दिए थे और तब से वह हर रोज इसे करती आ रही हैं।
( Source – पीटीआई-भाषा )