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जवाहर लाल नहरु (जे.एन.यू) विवाद के बाद दिल्ली में कश्मीरी छात्रों के कथित उत्पीडऩ के खिलाफ वरिष्ठ अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाले हुरियत कांफ्रैंस (जी) ने प्रोटेस्ट प्रोग्राम जारी किया। शुरुआत में हुरियत (जी) ने आगामी शुक्रवार को जुमा नमाज के बाद शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन का आह्वान किया। इसके बाद 27 फरवरी को जम्मू कश्मीर में पूर्ण बंद का आह्वान किया गया।
आज यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हुरियत (जी) के महासचिव शब्बीर अहमद शाह ने कहा कि कश्मीरी विद्वान प्रो. अब्दुल रहमान गिलानी के खिलाफ राजद्रोह, कश्मीरी छात्रों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की अनुचित कार्रवाई और जे.एन.यू. छात्रों को हिरासत में लिए जाने को फासीवाद और राज्य आतंकवाद का सबसे बुरा प्रकार करार दिया।
हुरियत (जी) चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी को गैंगस्टर रवि पुजारी से मौत की धमकी की निंदा करते हुए शाह ने चेताया कि यदि गिलानी के साथ कोई अप्रिय घटना होगी तो उसके गंभीर परिणाम होंगे और इससे पूरे जम्मू कश्मीर में आग लग जाएगी। भारत को ‘ब्राह्राण समाज’ करार देते हुए अलगाववादी नेता ने कहा कि कश्मीर मुद्दा एक जीवित वास्तविकता है जिसे भारत के लोग खुद अब स्वीकार कर रहे हैं।
उन्होने कहा कि कश्मीर समर्थक आवाजें अब जवाहर लाल नहरु और भारत के अन्य विश्वविद्यालयों से उठने लगी है और इन आवाजों के दमन को गंभीरता से देखा जा रहा है। यह हमारे लिए बहुत उत्साहजनक है और इससे कश्मीरी राष्ट्र की आजादी की भावनाएं मजबूत हो रही है। शाह ने कहा कि भारत ने न सिर्फ जम्मू कश्मीर पर अपनी सैन्य शक्ति की मदद से कब्जा किया है बल्कि इस देश में अन्य अल्पसंख्यकों और निचले जाति के लोगों को दबाने के लिए अपनी पूरी राज्य मशीनरी का उपयोग करता है।