
महाराष्ट्र सरकार ने आश्रम स्कूलों के छात्रों की रोजमर्रा की जरूरत का सामान खरीदने के लिए रूपयों को सीधे उनके बैंक खातों में भेजने का फैसला किया है।
इस कदम का मकसद, आवासीय आश्रम स्कूलों में आदिवासी छात्रों को स्टेशनरी और रोजमर्रा का अन्य सामान मुहैया कराने के लिए दिए जाने वाले अनुंबधों में भ्रष्टाचार को रोकना है।
आदिवासी विकास विभाग ने कहा कि रूपयों से छात्र अपने प्रतिदिन के उपयोग का खुद खरीद सकते हैं बजाय इसके कि सरकार इन चीजों को मुहैया कराने के लिए निजी कंपनियों को अनुबंध आवंटित करे।
उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षिण सत्र में 133 सरकारी आश्रम स्कूलों में इस बाबत एक पायलट परियोजना शुरू की जाएगी।
राज्य में 500 से ज्यादा सरकारी आश्रम स्कूल है जिनमें 2.4 लाख छात्र पढ़ते हैं।
सरकार प्रति वर्ष तकरीबन 700 करोड़ रूपये का अनुबंध आवंटित करके छात्रों को रोजमर्रा के इस्तेमाल का सामान उपलब्ध कराती है।
सरकार पाठ्य पुस्तकें, कॉपी, स्कूल वर्दी, पेन-पेसिंल, स्लेट, साबुन के अलावा टूथब्रुश, टूथपेस्ट, बरसाती, कंबल और नारियल का तेल आदि सामान मुहैया कराती है।
अधिकारी ने कहा कि पहली कक्षा से चौथी कक्षा में पढ़ने वाले छात्र को वाषिर्क तौर पर 7,500 रूपये दिए जाएंगे।
अधिकारी ने बताया कि पांचवी से 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को सालाना तौर पर 8,500 रूपये दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि कक्षा 10वीं से लेकर 12वीं तक के छात्रों को वाषिर्क तौर पर 9,500 रूपये दिए गए जाएंगे।
( Source – PTI )