
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय मीडिया से आज कहा कि वह सभी कश्मीरी युवाओं को पथराव करने वालों की तरह चित्रित करने पर रोक लगाए और राज्य के लोगों के खिलाफ नफरत पैदा करने वाली चर्चाओं को ना दिखाए।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 के बाद से कश्मीर ने सबसे बुरे दिन देखे हैं और उन्होंने तनावग्रस्त घाटी में शांति लौटने की उम्मीद जताई। घाटी में पिछले करीब दो महीने से लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं।
महबूबा ने यहां सिविल सचिवालय खोले जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम सभी जम्मू कश्मीर में स्थिति को लेकर चिंतित हैं लेकिन हमें यह जानना चाहिए कि यह पहली बार नहीं हुआ। वर्ष 1947 के बाद से कई बार जम्मू कश्मीर को बुरे दौर से गुजरना पड़ा है। आज हम फिर दोराहे पर खड़े हैं।’’ जम्मू कश्मीर में सिविल सचिवालय का कामकाज गर्मियों में छह महीने यहां से और सर्दियों में छह महीने जम्मू से होता है।
महबूबा ने 1950 से कश्मीर में शुरू हुए जनमत संग्रह आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि यह 22 वषरें तक चलता रहा लेकिन नेतृत्व समझता है कि यह मुद्दा हिंसा से नहीं सुलझाया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘इंदिरा-शेख समझौता हुआ, 1990 से फिर स्थिति गंभीर हो गई। कई बार आतंकवाद बढ़ जाता है और कई बार यह घट जाता है।’’ उन्होंने स्थिति के फिर से सुधरने की उम्मीद जताई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि घाटी के सभी युवक पथराव करने वाले नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रीय मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से आग्रह करती हूं कि वह टेलीविजन पर ऐसी चर्चाएं ना दिखाए जिससे देशभर में जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ नफरत पैदा होती है। कुछ लोग है जो पथराव करते हैं लेकिन कश्मीर के सभी युवा पथराव करने वाले नहीं हैं।’’
( Source – PTI )