
राजद की पटना में रविवार को होने वाली रैली में कांग्रेस के शीर्ष नेता सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी और बसपा प्रमुख मायावती के भाग नहीं लेने से विपक्षी एकता के प्रयास लड़खड़ाने लगे हैं तथा जदयू ने इसे लेकर तंज भी किया है। हालांकि विपक्ष ने दावा किया है कि इस रैली से विपक्ष, भाजपा के खिलाफ नये सिरे से बिगुल फूंकेगा।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल कल नार्वे की राजधानी ओस्लो के लिए रवाना हो गये। बताया जाता है कि सोनिया स्वास्थ्य कारणों से बाहर के कार्यक्रमों में प्राय: नहीं जा रही हैं । मायावती ने पहले ही इस रैली से अलग रहने की घोषणा कर दी है।
जदयू के प्रवक्ता के सी त्यागी ने भाषा से बातचीत में कहा, ‘‘ यह हमारी पार्टी के नेता शरद यादव और लालू प्रसाद के बीच भाईचारा रैली है। कुछ और नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब इस रैली की घोषणा की गयी तो हमारा गठबंधन काम कर रहा था। इस रैली के बारे में न तो हमसे (जदयू से) और न कांग्रेस से पूछा गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा भगाओ , देश बचाओ’ : रिपीट ‘भाजपा भगाओ , देश बचाओ ’ :रैली एक नकारात्मक राजनीति है। आप कौन सा वैकल्पिक राजनीतिक और आर्थिक नजरिया देने जा रहे हैं। उन्हें बताना चाहिए कि किन बिन्दुओं पर हम भाजपा से सहमत नहीं हैं। ’’ त्यागी ने कहा कि यह कोई विपक्षी एकता नहीं होती। माकपा नेता प्रकाश करात ने लिखा है कि यह नकारात्मक राजनीति है। इसका सबसे बड़ा आकर्षण मायावती थीं। अगर इनके साथ मायावती आ जातीं तो मुकाबले की स्थिति बनती। पर वह भी नहीं बनी।
जदयू नेता ने कहा कि मायावती ने इससे अपने को अलग कर उत्तर भारत में एकजुट विपक्ष की संभावना को ही समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी बात है कि व्यक्तियों को केन्द्रित मान आयोजित की गयी इस रैली से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने भी किनारा कर लिया है। सोनिया गांधी का न जाना, राहुल गांधी का न जाना..कांग्रेस जो सबसे बड़ी पार्टी है, उसने भी आइना दिखा दिया है।’’ सूत्रों के अनुसार इस रैली में माकपा की ओर से भी किसी के भाग लेने के आसार नहीं है। बताया जाता है कि माकपा के इस रैली से दूरी का कारण इसमें तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी की शिरकत है। कांग्रेस की ओर से इस रैली में वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और बिहार प्रभारी डा. सी पी जोशी भाग लेंगे।
( Source – PTI )