अर्से पुरानी परम्परा को तोड़ने की दिशा में उठाये गये एक महत्वपूर्ण कदम के तहत वृंदावन की सैकड़ों विधवा महिलाओं ने आज प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में संस्कृत विद्वानों एवं पंडितों को राखी बांधी।
समाज में ‘अछूत’ कही जाने वाली सैकड़ों विधवाओं के लिये यह एक नया सवेरा था और उन्होंने मंदिरों के इस शहर में पूरे उत्साह और उल्लास के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया।
वृंदावन में विधवाओं को बदहाली के अंधेरे से निकालकर समाज की मुख्यधारा में लाने का बीड़ा उठाने वाले ‘सुलभ इंटरनेशनल’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने रक्षाबंधन के मौके पर कार्यक्रम आयोजित किया था।
पाठक ने बताया कि रक्षाबंधन को बड़े पैमाने पर मनाने के लिये करीब 100 विधवा महिलाओं ने अगस्त के पहले हफ्ते से मीरा सहभागी तथा चेतन विहार आश्रमों में रंगबिरंगी राखियां बनाने का काम शुरू किया था।
उन्होंने बताया कि राखी उत्सव में 800 विधवा महिलाओं के अलावा राजस्थान के अलवर तथा टोंक जिलों में सिर पर मैला ढोने से मुक्ति पायी 200 औरतों ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने साधुओं तथा ब्राहमण समुदाय के लोगों के साथ भोजन किया और खासतौर से इस मौके के लिये रचे गये सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया।
पाठक ने कहा कि इन कार्यक्रमों का मकसद यह है कि देश के लोग विधवा महिलाओं के प्रति अपनी सोच, बर्ताव और कार्यकलापों में बदलाव लाएं। ये महिलाएं भी किसी की मां, बहन या अन्य रिश्तेदार हैं।
उन्होंने बताया कि वृंदावन और वाराणसी की 10 विधवा महिलाएं अपने जैसी सभी औरतों की तरफ से रक्षाबंधन के मौके पर दो हजार रंगबिरंगी राखियां तथा मिठाई लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिल्ली स्थित आवास पर जाएंगी और उनसे सभी विधवा महिलाओं के कल्याण के लिये और प्रयास करने की गुजारिश करेंगी। उम्मीद है कि मोदी अपने अतिव्यस्त कार्यक्रम से कुछ समय निकालेंगे।
( Source – पीटीआई-भाषा )