नई दिल्ली। क्या ऐसा कोई भारतवासी होगा जो भारत माँ को नहीं मानता हो? क्या कोई ऐसा हिन्दू होगा जिससे राम की याद न आती हो? यदि राम की याद आती है तो वनवासी समाज की दशा भी याद आना चाहिए। माता शबरी याद आना चाहिए। हमने वनवासी राम की पूजा की है न कि राजा राम की। वनवासी राम को भक्त नहीं कार्यकर्ता चाहिए। लक्ष्मी व सरस्वती के साधक विकास तो करेंगे किंतु रक्षा करेंगे दुर्गा के साधक। 1947 मैं देश आज़ाद हुआ किन्तु हिन्दू आज भी ग़ुलाम है। कई प्रश्न है और समाधान कौन करेगा? संतों ने धर्म को मोक्ष का मार्ग बना दिया। हम राम की कथा तो करते हैं किन्तु उनके कार्यों की चर्चा नहीं करते। वनवासी समाज धर्म को समझता है। सेवा स्वार्थ जगाती है जबकि संस्कार त्याग जगाता है और वह त्याग उसी धर्ममय सेवा से जागेगा। नगरवासियों के गले लगेगा। यह उद्गार एकल के प्रणेता श्री श्याम गुप्त ने श्री हरि सत्संग समिति के रजत जयंती महोत्सव के उपलक्ष में व्यक्त किए। उन्होने कहा कि श्री हरि ने वनवासी बच्चों को व्यासपीठ दी। यही धर्म की भाषा है। वनवासी समाज को प्रेम व सम्मान चाहिए। राम का आत्मविश्वास राम है। जो रामजी का काम करे वह राम सेवक है।
उन्होंने कहा कि हमने सैनिक सम्मान योजना शुरू की है। हमने शबरी बस्ती योजना को घर-घर तक पहुंचाया है। जिस शबरी ने राम को रास्ता दिखाया उसी मिलन से भगवान राम मिले। क्या उनका चित्र कभी देखा है हिन्दू समाज ने? यह शबरी ही दुर्गा रूप में हिंदुओं की रक्षक है। जब अशोक सिंघल, डॉक्टर हेडगेवार, गुरूजी सभी हमें आशीर्वाद दे रहे होंगे तब हम अपना जीवन सार्थक मानेंगे।
इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य सुभाष चंद्रा ने कहा कि एकल की 32 वर्षों की यह यात्रा अविस्मरणीय है। जब मैंने पहली बार वनयात्रा की तब से किसी न किसी रूप से मैं एकल अभियान से जुड़ा हुआ हूँ। इंसान को दो चीज़ें जोड़ती हैं। पहला दुख और दूसरा भारतीय संस्कृति। एकल का काम दुखों से दूर करता है। भजन, गोसेवा, वनवासी सेवा से इंसान अपना दुःख भूल जाता है।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार किरण चोपड़ा ने कहा कि एकल का कार्य मेरे दिल से जुड़ा है। आत्म निर्भर बनाने का मूल मंत्र है शिक्षा। यह ज़िंदगी का सत्य है जो सभी को प्रभावित करता है। मेरे पिताजी हमेशा कहा करते थे कि मैं अपनी बच्चियों को दहेज में शिक्षा-संस्कार दूँगा। एकल ने वनवासी समाज में जिस काम का बीड़ा उठाया है उस पर मुझे गर्व होता है। भारत विश्व गुरू तब बनेगा जब इसकी जड़ें मज़बूत होंगी और जड़ें मज़बूत होती है शिक्षा से। इसमें एकल का महत्वपूर्ण योगदान होगा। एकल एनजीओ नहीं है वरन शिक्षा के लिए विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। एकल का कार्य अतुल्य है, अनमोल है। वह सभी के लिए मिसाल है। जहाँ सरकारें नहीं पहुँची वहाँ एकल पहुँच जाता है।
कार्यक्रम के दौरान एकल कल्चर कनेक्ट नामक ऐप का उद्घाटन नेहा मित्तल द्वारा हुआ। इस ऐप के माध्यम से बच्चों को मॉरल स्टोरीज़ के साथ संस्कारों की शिक्षा दी जाएगी। इस दौरान डॉक्टर निर्मला पेड़िवाल द्वारा रचित ग्रंथ वनपंचामृत का विमोचन भी हुआ। कार्यक्रम का समापन एकल सुर ताल टोली की भव्य व रंगारंग प्रस्तुति से हुआ।