
उच्चतम न्यायालय ने 10 वर्षीय एक बलात्कार पीड़ित लड़की के 26 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति के लिये दायर याचिका पर आज केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया।
प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने चंडीगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव से इस मामले में न्याय मित्र के रूप में न्यायालय की मदद करने का अनुरोध किया है। न्यायालय ने बलात्कार पीड़िता का 26 जुलाई को चिकित्सकों के बोर्ड से परीक्षण कराने का भी निर्देश दिया है।
पीठ ने यह भी कहा कि मेडिकल बोर्ड को इस पहलू की भी जांच करनी होगी कि यदि वे गर्भ समापन की अनुमति दें तो पीड़ित लड़की के जीवन के प्रति खतरे की क्या संभावना है।
न्यायालय ने सदस्य सचिव को यह सुनिश्चित करने के लिये भी कहा कि बलात्कार पीड़िता और उसके माता पिता में से एक को पीजीआई, चंडीगढ़ में परीक्षण हेतु जाने के लिये उचित सुविधा उपलब्ध करायी जाये।
न्यायालय इस मामले में अब 28 जुलाई को आगे विचार करेगा। न्यायालय ने कहा कि मेडिकल बोर्ड सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट उसे सौंपेगा। इसके साथ ही न्यायालय ने बलात्कार पीड़िता के वकील से कहा कि वह तुरंत सदस्य सचिव को उसका पता मुहैया कराये।
बलात्कार पीड़िता के 26 सप्ताह की गर्भवती होने की पुष्टि होने के बाद चंडीगढ़ की जिला अदालत ने 18 जुलाई को उसे गर्भपात की अनुमति देने से इंकार कर दिया था। इसके बाद ही इस मामले में शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर की गयी।
न्यायालय गर्भ का चिकित्सीय समापन कानून के तहत 20 सप्ताह तक के भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमित प्रदान करता है और भ्रूण में आनुवांशिक असमान्यता होने की स्थिति में अपवाद स्वरूप इतर आदेश भी दे सकता है।
याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने शीर्ष अदालत से विशेषकर बलात्कार पीड़ित बच्चों के गर्भपात से संबंधित मामलों में तत्परता से कदम उठाने के इरादे से देश के प्रत्येक जिले में स्थाई मेडिकल बोर्ड गठित करने के लिये उचित दिशानिर्देश देने का अनुरोध किया है।
( Source – PTI )