
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड :सेबी: ने सभी सूचीबद्ध बैंकों से संपत्तियों यानी उनके द्वारा दिए गए कर्जों के वर्गीकरण और उनके मामलों में अनिवार्य पूंजीगत प्रावधान में भिन्नता के बारे में सूचनाएं शेयर बाजारों को एक तय प्रारूप के तहत जारी करने को कहा है।
बैंक अपने कर्जों की वसूली की स्थित के अनुसार उनको मानक या संकटग्रस्त सम्पत्ति के रूप में वर्गीकरण करते रहते हैं।
इस कदम से बैंकों को अधिक समान तरीके से अपनी दबाव वाली संपत्तियों की पहचान गैर निष्पादित आस्तियों के रूप में करने में मदद मिलेगी।
बैंकों को यह देखना होगा कि आलोच्य अवधि से संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक के आकलन में फंसे कर्जों के एवज में अतिरिक्त धन के प्रावधान की जरूरत उस अवधि में बैंक के शुद्ध लाभ के 15 प्रतिशत से अधिक तो नहीं बैठती है। अगर धन के प्रावधान की आवश्यकता उस अवधि में शुद्ध लाभ के 15 प्रतिशत से अधिक बैठती हैं तो बैंकों को यह जानकारी स्टाक एक्सचेंजों को देनी होगी।
( Source – PTI )