
वरिष्ठ भाजपा नेता यशवंत सिन्हा ने आज वित्त मंत्री अरूण जेटली पर ‘‘निम्नस्तरीय’’ टिप्पणियां करने का आरोप लगाया और कहा कि बतौर वित्त मंत्री उनके कामकाज की आलोचना करना एक प्रकार से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आलोचना करने के बराबर है जिन्होंने उन्हें : सिन्हा को: यह जिम्मेदारी सौंपी थी।
‘‘ 80 की उम्र में नौकरी के आवेदक’’ वाली जेटली की टिप्पणी की आलोचना करते हुए सिन्हा ने कहा कि वित्त मंत्री ने सबसे अधिक ‘‘अपमान’’ तो लाल कृष्ण आडवाणी का किया है जिन्होंने वरिष्ठ भाजपा नेता की सलाह का जिक्र किया । इस सलाह में कहा गया था कि उनकी टिप्पणियां केवल मुद्दों तक सीमित रहनी चाहिए और इसमें लोगों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए । उसके बाद वह उनके खिलाफ निजी हमला करने की हद तक जा पहुंचे ।’’ सिन्हा ने पीटीआई से कहा, ‘‘ टिप्पणी इतनी घटिया है कि मैं इस पर प्रतिक्रिया देना अपनी गरिमा के खिलाफ समझता हूं ।’’ इसके बाद उन्होंने सेवानिवृत्ति से 12 साल पहले आईएएस की नौकरी छोड़ने के अपने फैसले को याद किया। उन्होंने साथ ही कहा कि उन्होंने 2014 में अपनी इच्छा से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था । उस समय उन्हें अपनी जीत का पूरा भरोसा था लेकिन वह चुनावी राजनीति से अलग होना चाहते थे ।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उन्होंने दृढ़ शब्दों में जवाब दिया, ‘‘ वह : जेटली : मेरी पृष्ठभूमि को पूरी तरह भूल गए ।मैंने राजनीति में शामिल होने के लिए उस समय आईएएस छोड़ा था जब मेरी सेवा के 12 साल बचे थे । मैंने 1989 में वी वी सिंह की कैबिनेट में राज्य मंत्री बनने से इंकार कर दिया था क्योंकि मुझे कुछ समस्या थी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने चुनावी राजनीति से किनारा कर लिया । मैं राजनीति में सक्रिय नहीं हूं और अपने अलग कोने में मैं शांति से जिंदगी जी रहा हूं । इसलिए यदि, मुझे पद का लालच होता तो मैं ये सब चीजें नहीं छोड़ता जो मैं छोड़ चुका हूं । ’’ वाजपेयी सरकार में बतौर वित्त मंत्री उनके कार्य की आलोचना करने वाले जेटली तथा कुछ अन्य भाजपा नेताओं को उन्होंने पलट कर जवाब दिया । उन्होंने कहा कि उन्हें उस समय महत्वपूर्ण विदेश मंत्रालय दिया गया था और वह ‘‘सुरक्षा संबंधी मामलों की कैबिनेट कमेटी के और अधिक सक्रिय सदस्य बन गए थे ।’’ सिन्हा ने कहा कि वह ‘‘चुनौतीपूर्ण ’’ समय था जब उन्होंने जुलाई 2002 में विदेश मंत्री का कामकाज संभाला था।
उन्होंने कहा, ‘‘संसद पर आतंकवादी हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान सीमा पर एक दूसरे के खून के प्यासे थे । यह कहना कि विदेश मंत्रालय एक बेकार मंत्रालय था और मुझे जबरन वित्त मंत्रालय से बाहर किया गया, ये अपने आप में विरोधाभासी है।’’ सिन्हा ने इस बात को रेखांकित किया कि इस सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी को सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न प्रदान किया है और भाजपा नेता उनकी भी आलोचना कर रहे हैं ।
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उन्होंने पांच नियमित बजट और दो अंतरिम केंद्रीय बजट पेश किए थे ।
आर्थिक सलाहकार परिषद के गठन समेत सरकार के हालिया कदमों के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा,‘‘ देखते हैं, इसमें वे ऐसा क्या तीर मारते हैं । अभी तक तो कुछ नहीं हुआ । इसलिए कोई टिप्पणी करने से पूर्व, मैं अभी कुछ समय इंतजार करूंगा।’’ सिन्हा ने बुधवार को एक समाचार पत्र में एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने आर्थिक मामलों से निपटने की सरकार की शैली पर सवाल उठाए थे । इसके बाद उनके लेख को लेकर राजनीतिक बहस छिड़ गई । विपक्षी दलों के नेताओं ने उनकी बात का समर्थन किया जबकि सरकार के शीर्ष मंत्रियों ने उनकी आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत और गतिशील बनी हुई है।
( Source – PTI )