मैं किसी का
आसानी से कट जाने वाला दिन
तो कभी
किसी की नींद से जुदा
रात रहा हूँ
मैं किसी दोपहरी में
जलाने वाला आग का गोला
तो कभी
किसी की धुप सेकने वाला
सूरज रहा हूँ
मैं किसी की ज़िन्दगी में
पूरा उजाला भरने वाला
तो कभी
हर दिन घटने वाला
और कभी तो
पूरी तरह अँधेरे में छोड़ जाने वाला
चाँद रहा हूँ
मैं किसी की आँखों का काजल
तो कभी किसी चेहरे पर लगी
कालिख रहा हूँ
किसी का दर्द बाँटने वाला
किसी को दर्द देने वाला
मजाक करने वाला
मजाक उड़ाने वाला
हाथ पकड़कर चलने वाला
तो कभी
बीच राह हाथ छोड़ जाने वाला रहा हूँ
मैं किसी की अधूरी मोहब्बत
तो कभी
किसी की पूरी नफरत रहा हूँ
आवारा हवा के झोके सा चलने वाला
तो कभी
ठहरे हुए पानी सा रहा हूँ
किसी की रुकी हुई हसी
तो कभी
ना रुकने वाला
आंसू रहा हूँ
रोशन करने वाला दिया
तो कभी
राख कर देने वाली
आग रहा हूँ
सीना थोक के बात कहने वाला
तो कभी
बेबस, लाचार, मायूस सा
चुप रहा हूँ
किसी का कल रहा हूँ
किसी का आज रहा हूँ
किसी का रहा हूँ
किसी का नहीं रहा हूँ
मैं हमेशा
किसी न किसी का
कुछ न कुछ रहा हूँ
बस खुद का ही कुछ नहीं रहा हूँ
-रोहित सुनार्थी