व्यंग्य सबसे बड़ा आलराउंडर ! December 16, 2025 / December 16, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सबसे बड़ा आलराउंडर Read more » सबसे बड़ा आलराउंडर
व्यंग्य बिंदिया के बहाने, कुछ अनकहे अफसाने December 15, 2025 / December 15, 2025 by जगत मोहन | Leave a Comment बिंदिया Read more » बिंदिया
व्यंग्य जेन जी November 17, 2025 / November 17, 2025 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment दुनिया हिला दूंगा,सब कुछ जला दूंगा टाइप का एटीट्यूड रखने वाले जेन जी एक तबका नेपाल में सरकार पलट देने से बहुत उत्साहित है। उसी टाइप के एक जेन जी के पास एक हिंदी के Read more »
व्यंग्य आया चुनाव का मौसम ! November 16, 2025 / November 18, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मौसम बदलने के पहले पूर्वाभास होने लगता है ! बारिश का मौसम आने वाला हो तो आकाश में काले-काले बादल उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं |ठंडी बयार बहने लगती है | Read more »
व्यंग्य वाहन प्रदूषण सीमा के भीतर है November 13, 2025 / November 13, 2025 by विवेक रंजन श्रीवास्तव | Leave a Comment मध्यप्रदेश की हवा में अब सिर्फ धूल नहीं, प्रदूषण प्रमाणपत्र भी तैर रहे हैं। ये डिजिटल कागज़, प्रदूषण नियंत्रण के वे पवित्र सर्टिफिकेट हैं जिनके दम पर राज्य की सड़कों पर चल रही हर Read more » pollution certificate वाहन प्रदूषण
व्यंग्य जरा हटके ,जरा बचके September 2, 2025 / September 2, 2025 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment कई दशकों पूर्व एक गाना बड़ा मशहूर हुआ था “ए दिल है मुश्किल है जीना यहाँ, जरा हटके जरा बचके ये है बॉम्बे मेरी जां ”। तब भारत की आर्थिक राजधानी के दो नाम हुआ करते थे । बंबई और बॉम्बे। बम्बई आम जन की जुबान में शहर को बोला जाता जबकि इलीट क्लास के […] Read more » जरा बचके जरा हटके
व्यंग्य कुत्ता प्रसंग और युधिष्ठिर August 25, 2025 / August 25, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गवआजकल न्यायालय से सड़क तक कुत्ता प्रसंग चल रहा है। यह गोवंश को बचाने से कहीं ज्यादा अहम् हो गया है। अब अह्म तो दोनों ही हैं, गाय दूध के लिए माता कही जाती है और कुत्ता आदमी का वफादार मित्र है। उसकी यही कृतज्ञता के फलतः महाभारत युग में धर्मराज युधिष्ठिर अपने अनुजों […] Read more » कुत्ता प्रसंग और युधिष्ठिर
व्यंग्य जाने से पहले July 14, 2025 / July 14, 2025 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment पत्नीजी गर्मी की छुट्टियों में मायके जाने लगीं ।साले साहब लेने आये थे और उस पर तुर्रा यह था कि चारपहिया से लेने आये थे। बरसों पहले एम्बेसडर से ब्याह कर मेरे घर आई पत्नी अब स्कार्पियो से मायके जारही थी ये और बात है कि मेरी मोटरसाइकिल भी ईयमआई पर चल रही थी।बाहर गाड़ी […] Read more » मेरे जाने से पहले।।
राजनीति व्यंग्य झूठ तुम्हारे हो गये – कितने लम्बे पैर June 3, 2025 / June 3, 2025 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार 2014 में केन्द्र की सत्ता में आने पर मोदी सरकार द्वारा क्रमशः 2016, 2019 और 2025 में सर्जिकल स्ट्राइक की गई जिसमें कई आतंकवादी मारे गये। मोदी सरकार का यह कदम अभूतपूर्व साहस से भरा था और इस बात का प्रमाण था कि देश अब सीमा-पार से आतंकवाद सहन करने वाला […] Read more » These lies have become yours - how long are your legs निराधार हिन्दू आतंकवाद राहुल गाँधी की दृष्टि में लश्करे तोयबा से ज्यादा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ खतरनाक
व्यंग्य नेताओं की मोहब्बत और जनता की नादानी April 25, 2025 / April 25, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment राजनीति की रंगमंचीय दुश्मनी और जनता की असली बेवकूफी कभी किरण चौधरी और शशि थरूर मंचों पर एक-दूसरे के खिलाफ़ खड़े होते हैं, कभी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर पार्टियों की नीतियाँ बँटती हैं, और इसी बीच पिसती है आम जनता। क्या हमने कभी सोचा कि ये नेता तो एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं, कार्यक्रमों में […] Read more » The love of leaders and the ignorance of the public
व्यंग्य लोकतंत्र की जान है थू-थू ! April 21, 2025 / April 21, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव नर्मदापुरम दुनिया का सबसे विचित्र शहर है, इसकी विचित्रता के चर्चे होते है पर क्या विचित्र है उसके चित्र किसी के पास नहीं है, यानी दस्तावेजों में यहाँ के सारे विचित्र कार्य और योजनायों के स्वरूप बनते- बिगड़ते है जिसके लिए प्रदेश सरकार करोड़ों रूपये भेजती है। मसलन वर्ष-2012 में किसी ने सेठानी […] Read more » Spit-shit is the lifeblood of democracy!
व्यंग्य पुरुषों सत्ता पर नारी का एकछत्र साम्राज्य April 12, 2025 / April 16, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव वरिष्ठ पत्रकार दुनिया भर के धुरन्धर ज्ञानियों-ध्यानियों, धर्मज्ञ, तत्ववेत्ताओं के होते हुये इस समाज में मुझ जैसा महामूर्ख भी है जो नर और नारी के बीच उनकी छुपी हुई प्रतिभाओं-कलाओं से हटकर नर में छिपी नारी को देखता है। पुरुषों में नारी पुरुषोत्तमा है जो अणिमा,लघिमा सिद्धिया है, प्रकृति में संध्या, ऊषा, रजनी, पृथ्वी है, नदिया में गंगा,यमुना, सरस्वती, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी है, भाषाओं […] Read more »