धर्म-अध्यात्म नारी श्रद्धा और प्रेम का अमर पर्व करवा चौथ October 9, 2025 / October 9, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment कहा जाता है कि इस व्रत के समान सौभाग्यदायक अन्य कोई व्रत नहीं है और सुहागिनें यह व्रत 12-16 वर्ष तक हर साल निरन्तर करती हैं, उसके बाद वे चाहें तो इसका उद्यापन कर सकती हैं अन्यथा आजीवन भी यह व्रत कर सकती हैं। आजकल तो कुछ पुरूष भी पूरे दिन का उपवास रखकर पत्नी के इस कठिन तप में उनके सहभागी बनते हैं। Read more » Karva Chauth the immortal festival of women's faith and love करवा चौथ
धर्म-अध्यात्म शरद पूर्णिमा : चंद्र विज्ञान और आस्था का अद्भुत संगम October 6, 2025 / October 6, 2025 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ पर्व मनाया जाता है और इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप में आसमान में चमकता है। इस वर्ष यह पावन तिथि 6 अक्तूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से आरंभ होकर 7 अक्तूबर की सुबह 9 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, इसलिए शरद पूर्णिमा 6 अक्तूबर की रात को मनाया जाएगा। Read more » चंद्र विज्ञान और आस्था शरद पूर्णिमा
धर्म-अध्यात्म शक्ति के उपासक बनें October 3, 2025 / October 3, 2025 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment भारत भूमि के महान सपूत महर्षि अरविन्द ने वर्षों पूर्व जब हम अंग्रेजों के अधीन थे, अपनी एक छोटी रचना 'भवानी मंदिर' की भूमिका में लिखा था कि "हमने शक्ति को छोड़ दिया है, इसलिए शक्ति ने भी हमें छोड़ दिया"। Read more » Become a worshiper of power शक्ति के उपासक बनें
धर्म-अध्यात्म जलते पुतले, बढ़ते रावण: दशहरे का बदलता अर्थ September 30, 2025 / September 30, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment रामायण की कथा में रावण केवल एक पात्र नहीं था, बल्कि वह उन बुराइयों का प्रतीक था जो इंसान को पतन की ओर ले जाती हैं—अहंकार, वासना, छल, क्रोध और अधर्म। रावण जैसा महाज्ञानी, शिवभक्त और शूरवीर भी अपनी एक गलती—वासना और अहंकार—के कारण विनाश को प्राप्त हुआ। दशहरा हमें यही याद दिलाने आता है कि यदि बुराई चाहे कितनी ही शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः उसका नाश निश्चित है। Read more » दशहरे का बदलता अर्थ
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नवरात्रि का माहात्म्य September 24, 2025 / September 24, 2025 by विवेक रंजन श्रीवास्तव | Leave a Comment विवेक रंजन श्रीवास्तव नवरात्र भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जो केवल धार्मिक आचरण तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के हर पहलू को स्पर्श करता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है चैत्र और आश्विन मास में और दोनों ही बार यह ऋतु परिवर्तन के संधि-काल में अपना विशेष महत्व लेकर आता है। नवरात्रि, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, नौ रात्रियों का उत्सव है। ये नौ रातें और नौ दिन देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना के लिए समर्पित होते हैं, जो शक्ति, ज्ञान, समृद्धि और शांति के प्रतीक हैं। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना के साथ होती है, जहाँ एक मिट्टी के घड़े में जौ बोए जाते हैं। यह जीवन के अंकुरण, नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। अगले नौ दिनों तक, देवी के नौ रूपों की पूजा का एक विशेष क्रम होता है। प्रत्येक दिन देवी के एक अलग रूप की आराधना की जाती है, जो मानव जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाता है। शैलपुत्री से लेकर सिद्धिदात्री तक का यह सफर केवल पूजा अर्चना का ही नहीं, बल्कि आत्मिक उन्नति और आंतरिक शुद्धि का भी मार्ग प्रशस्त करता है। इस पर्व का सबसे गहरा महत्व इसकी आध्यात्मिकता में निहित है। मान्यता है कि इन्हीं नौ दिनों में देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। इसलिए यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया है। यह हमें सिखाता है कि हमें अपने अंदर की काम, क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार जैसे दसों प्रकार के राक्षसों पर विजय प्राप्त करनी चाहिए। दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है, जो विजय का प्रतीक है। नवरात्रि केवल पूजा पाठ का ही पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक उल्लास का भी अवसर है। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में गरबा और डांडिया का आयोजन इसका उदाहरण है। रातभर चलने वाले इन नृत्यों में समुदाय के सभी लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ मिलकर नृत्य करते हैं। यह सामाजिक सद्भाव और सामूहिक उल्लास का अनूठा दृश्य होता है। घरों में रंगोली बनाने, दीये जलाने और पारंपरिक वस्त्र पहनने की परंपरा हमारी सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखती है। इस पर्व का एक वैज्ञानिक पक्ष भी है। ऋतु परिवर्तन के इस समय में उपवास रखना और सात्विक आहार लेना शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होता है। यह शरीर को शुद्ध करने, पाचन तंत्र को आराम देने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है। इस प्रकार, नवरात्रि शरीर, मन और आत्मा तीनों के लिए शुद्धि का कार्य करती है। नवरात्रि का संदेश अत्यंत सारगर्भित है। यह हमें बाहरी आडंबरों से ऊपर उठकर आंतरिक शुद्धि की ओर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि जीवन में सफलता और शांति के लिए आवश्यक है कि हम अपने अंदर की नकारात्मक शक्तियों पर विजय प्राप्त करें और सकारात्मक ऊर्जा को अपनाएं। नवरात्रि आस्था, संस्कृति और विजय का अनूठा संगम है, जो हमें न केवल बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देती है, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का संदेश भी फैलाती है। यही कारण है कि सदियों से यह पर्व हमारी सांस्कृतिक चेतना का एक अभिन्न अंग बना हुआ है। विवेक रंजन श्रीवास्तव Read more » importance of navratri Navratri नवरात्रि का माहात्म्य
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म नवरात्र में माँ को लगाएं नौ दिन अलग अलग भोग September 24, 2025 / September 24, 2025 by डॉ.नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी | Leave a Comment नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी 1 – प्रथम नवरात्रि पर मां को गाय का शुद्ध घी या फिर घर पर बनी श्वेत (सफेद) मिठाई अर्पित की जाती है। लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। 2 – दूसरे नवरात्रि के दिन मां को गुड़ वाले शक्कर का भोग लगाएं और भोग लगाने के बाद इसे घर में सभी सदस्यों को दें। इससे उम्र में वृद्धि होती है। 3 – तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई या खीर का भोग मां को लगाएं एवं इसे ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों से मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है। 4 – चतुर्थ नवरात्र पर मां भगवती को मालपुए का भोग लगाएं और ब्राह्मण को दान दें।इससे बुद्धि का विकास होने के साथ निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। 5 – नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवेद्य अर्पित कर के बटुक ब्राम्हणों को दान करने से शरीर स्वस्थ रहता है। 6 – नवरात्रि के छठे दिन मां को शुद्ध शहद का भोग लगाएं और प्रसाद रूप में ग्रहण करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि होती है। 7 – सप्तमी पर मां को गुड़ का नैवेद्य अर्पित करने और इसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं अचानक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है। 8 – अष्टमी व नवमी पर मां को नारियल का भोग लगाएं और नारियल का दान करें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी Read more » Offer different offerings to Mother Goddess for nine days during Navratri नवरात्र में माँ को लगाएं नौ दिन अलग अलग भोग
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्रद्धा से जुड़ती है आत्मा – पितृ पक्ष का संदेश ! September 8, 2025 / September 8, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हमारी भारतीय संस्कृति दुनिया की सबसे प्राचीन और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं में से एक मानी जाती है। इसमें धर्म, दर्शन, जीवन मूल्य, सामाजिक संरचना, पारिवारिक संबंध और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का विशेष स्थान है। भारतीय समाज में परिवार और पूर्वजों के प्रति आदर और कृतज्ञता को बहुत महत्व दिया जाता है। इन्हीं मूल्यों का […] Read more » – पितृ पक्ष का संदेश श्रद्धा से जुड़ती है आत्मा
धर्म-अध्यात्म श्रद्धापूर्वक माता -पिता का सेवा करना पुत्र का कर्तव्य September 8, 2025 / September 8, 2025 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” पौराणिक व लौकिक मान्यतानुसार वर्तमान में आश्विन कृष्ण पक्ष में पितरों के उद्देश्य से विशेष रूप से पिंडदान किये जाने और ब्राह्मण भोजन कराये जाने की परिपाटी है। वस्तुतः यह श्राद्ध कर्म भाद्रमास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या के दिन समाप्त होता है। भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास […] Read more » पितृपक्ष
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्रीकृष्ण हैं शाश्वत एवं प्रभावी सृष्टि संचालक August 16, 2025 / August 16, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव-जन्माष्टमी- 16 अगस्त 2025 पर विशेष-ललित गर्ग – भगवान श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति के ऐसे अद्वितीय महापुरुष हैं, जिनके व्यक्तित्व में आध्यात्मिक ऊँचाई, लोकनायकत्व, व्यावहारिक बुद्धिमत्ता और कुशल प्रबंधन का अद्भुत संगम दिखाई देता है। वे केवल एक धार्मिक देवता नहीं, बल्कि सृष्टि के महाप्रबंधक, समय के श्रेष्ठ रणनीतिकार और जीवन के महान शिक्षक-संचालक […] Read more » श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव-जन्माष्टमी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म लोक जागरण का महापर्व है श्री कृष्ण जन्माष्टमी August 12, 2025 / August 12, 2025 by डा. विनोद बब्बर | Leave a Comment डा. विनोद बब्बर जागरण अर्थात चेतना जीवंतता की पहली शर्त है। यूं तो सभी जीवों में चेतना होती है लेकिन जागृत चेतना केवल मनुष्य में ही संभव है। जागृत चेतना का अभिप्राय अपने परिवेश की हलचल के प्रति सजग रहते हुए अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के गौरव को सुरक्षित रखने का चिंतन के अतिरिक्त […] Read more » Shri Krishna Janmashtami is a great festival of public awakening श्री कृष्ण जन्माष्टमी
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म वर्त-त्यौहार सावन, शिव और प्रेम: भावनाओं की त्रिवेणी July 24, 2025 / July 24, 2025 by मनीषा कुमारी आर्जवाम्बिका | Leave a Comment सावन का महीना भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना में एक विशेष स्थान रखता है। यह वह समय है जब धरती हरी चादर ओढ़ लेती है, आकाश सावन की फुहारों से सज उठता है और हर ओर हरियाली और शीतलता का एक अनुपम संगम दिखाई देता है। इस मौसम में न केवल प्रकृति खिल उठती है, […] Read more » शिव और प्रेम
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म सतीसर से कश्मीर July 24, 2025 / July 24, 2025 by डॉ० शिबन कृष्ण रैणा | Leave a Comment कहते हैं कि मुग़ल बादशाह जहांगीर जब पहली बार कश्मीर पहुंचे तो उनके मुंह से सहसा निकल पड़ा: “गर फिरदौस बर रूए ज़मीन अस्त,हमीं असतो,हमीं असतो,हमीं अस्त”।अर्थात् “जन्नत अगर पूरी कायनात में कहीं पर है, तो वह यहीं है,यहीं है,यहीं है।“ भारत का मुकुटमणि,धरती का स्वर्ग, यूरोप का स्विट्ज़रलैंड, कुदरत की कारीगरी और अकूत ख़ूबसूरती का खजाना: पहाड़,झीलें,वनस्पति,हरियाली,महकती पवन… ऐसा […] Read more » Satisar to Kashmir सतीसर से कश्मीर