अटल-आडवाणी के बाद अब राजनाथ-मोदी

भारतीय राजनीति में वैसे तो तमाम जोड़ियां हिट रही हैं लेकिन कुछ जोड़ियां बेमिसाल साबित हुई हैं। ऐसी ही जोड़ियों में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी एवं श्री लालकृष्ण आडवाणी की भी जोड़ी रही है। हिन्दुस्तान के राजनैतिक इतिहास में जितनी लम्बी अटल जी एवं आडवाणी जी की जोड़ी सक्रिय रही है उससे अधिक दिनों तक कोई भी जोड़ी सक्रिय नहीं रही है। अटल जी का स्वास्थ्य यदि ठीक रहता तो इन दोनों नेताओं की जोड़ी अभी भी एक मिसाल के तौर पर दिखाई देती।
पचास वर्षों से अधिक दिनों तक इन दोनों नेताओं ने एक साथ काम किया है किंतु इतने दिनों तक एक साथ काम करने के बावजूद कभी यह सुनने को नहीं मिला कि उनके अंदर किसी तरह का मन-मुटाव रहा हो। हो सकता है कि किंसी मुद्दे पर दोनों नेताओं में किसी प्रकार का ‘मतभेद’ रहा हो किंतु उनमें किसी के प्रति ‘मनभेद’ कभी भी नहीं रहा। यानी कि अटल आडवाणी के प्रति कभी ‘दिलों की दूरिया नहीं रहीं’। पचास वर्षों से अधिक समय तक राम-लक्ष्मण की तरह बिना किसी विवाद के एक साथ काम करना अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह इतना आसान काम नहीं है।
राजनैतिक जीवन में जहां कदम-कदम पर विवादों से पाला पड़ता है, ऐसे में इतने दिनों तक मर्यादित एवं निष्कलंक राजनैतिक जीवन ‘पत्थर पर घास उगाने’ जैसा है। इन दोनों नेताओं ने अपने सार्वजनिक जीवन में कभी भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया।
भारतीय जनता पार्टी में एक साथ मिलकर काम करने की श्रेष्ठ परंपरा बहुत पहले से रही है। पार्टी के अंदर आज भी वह परंपरा आगे बढ़ती दिख रही है। भारतीय जनता पार्टी की उस श्रेष्ठ परंपरा को आगे बढ़ाने का काम वर्तमान समय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह एवं पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्राी पद के उम्मीदवार एवं गुजरात के मुख्यमंत्राी नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। पार्टी में इस बात की संभावना व्यक्त की जा रही है कि इन दोनों नेताओं की भी जोड़ी अटल-आडवाणी की तरह बेमिसाल साबित होगी।
आजकल देखने में आ रहा है कि श्री राजनाथ सिंह पार्टी की कमान बहुत मजबूती से संभाले हुए हैं तो दूसरी तरह श्री नरेंद्र मोदी भी भाजपा की तरफ से नेता की भूमिका का निर्वाह बहुत बेहतरीन ढंग से निभा रहे हैं। अब तो श्री राजनाथ सिंह भाजपा की चुनाव प्रचार अभियान समिति के मुखिया भी बन गये हैं। श्री सिंह को चुनाव प्रचार अभियान समिति का मुखिया बनवाने में श्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। यदि पार्टी का अध्यक्ष और पार्टी की तरफ से घोषित नेता के बीच बेहतर तालमेल हो तो सत्ता में पहुंचने की राह बहुत आसान हो जाती है।
कहने का सीधा-सा मतलब यह है कि यदि श्री राजनाथ सिंह एवं श्री नरेंद्र मोदी एक स्वर से एवं एकमत होकर काम करेंगे तो पार्टी का भविष्य बहुत बेहतर साबित हो सकता है। वर्तमान समय में यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि यह काम श्री नरेंद्र मोदी एवं श्री राजनाथ सिंह बखूबी कर रहे हैं।
श्री राजनाथ सिंह एक लंबे अरसे से जहां भी जाते हैं, एक ही बात कहते हैं कि श्री नरेंद्र मोदी वर्तमान समय में भाजपा ही नहीं बल्कि पूरे देश के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं। किसी भी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी पार्टी के किसी भी नेता के बारे में यदि इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करे तो निश्चित रूप से उस नेता का कद बढ़ता ही जाता है।
श्री राजनाथ सिंह ने एक नहीं बल्कि कई बार सार्वजनिक मंचों से यह बात कही कि श्री नरेंद्र मोदी पार्टी के सबसे अधिक लोकप्रिय नेता हैं। दूसरी तरफ श्री नरेंद्र मोदी भी श्री राजनाथ सिंह की तारीफ करने से जरा भी चूकते नहीं हैं। श्री नरेंद्र मोदी की आजकल पूरे देश में रैलियां हो रही हैं। उन रैलियों में वे जहां भी जाते हैं, पार्टी के ही एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि सत्ता में आने के लिए सिर्फ उनका नाम ही काफी है।
रैलियों में वे यही बात कहते हैं कि अपनी पार्टी की जो रीति-नीति एवं परंपरा है, उसी को ही अमल करते हुए आगे बढ़ा जा सकता है यानी कि श्री राजनाथ सिंह संगठन को जिस दिशा में और जिस प्रकार ले जाना चाहते हैं, उसी दिशा में ही पार्टी को आगे बढ़ाने का काम श्री नरेंद्र मोदी भी कर रहे हैं। भोपाल की रैली में श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह बात सही है कि पूरे देश में भाजपा के पक्ष में आंधी चल रही है किंतु साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आंधी चाहे डेढ़ सौ किमी की रफ्तार से हो या दो सौ किमी की रफ्तार से हो और कोई व्यक्ति किसी चौराहे पर साइकिल का खाली ट्यूब लेकर खड़ा हो जाये किंतु उसमें हवा तब तक नहीं जा सकती जब तक उसमें पंप से हवा नहीं डाली जायेगी, यानी कि रैलियों में जो भीड़ आ रही है, उसका लाभ पार्टी को तब तक नहीं मिल सकता है, जब तक वह वोट में तब्दील न हो जाये। भीड़ को वोट में तब्दील करना तब तक संभव नहीं होगा जब तक पार्टी का एक-एक कार्यकर्ता पार्टी के साथ खड़ा न हो। यह तभी संभव है जब पूरी पार्टी अपने नेता यानी कि श्री नरेंद्र मोदी के साथ दिल से खड़ी दिखाई दे। यह तंत्रा अच्छी तरह तभी काम कर सकता है जब पार्टी का अध्यक्ष एवं पार्टी की तरफ से घोषित नेता एकजुट होकर काम करें। वर्तमान समय में पूरी पार्टी श्री नरेंद्र मोदी के साथ वैसे ही खड़ी है, जैसा कि वे चाहते हैं। यानी कि यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि श्री राजनाथ सिंह एवं श्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी बिल्कुल सही दिशा में जा रही है।
यह संयोग की बात है कि विगत लोकसभा चुनाव में भी पार्टी अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ही थे और अगामी लोकसभा चुनाव भी उन्हीं की अध्यक्षता में लड़ा जा जायेगा। श्री राजनाथ सिंह ने कई बार सार्वजनिक मंचों से अपने मन की पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा है कि उन्हें इस बात का मलाल है कि 2009 में उनकी अध्यक्षता में भाजपा सत्ता में आने में कामयाब नहीं हो पाई किंतु इस बार वे पिछली बार की कमी को निश्चित रूप से पूरा करने का प्रयास करेंगे। इसी कारण वे वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी तरफ से कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव में सत्ता में आने के लिए श्री राजनाथ सिंह पार्टी के माध्यम से जो भी प्रयास कर रहे हैं, उसे आगे बढ़ाने में श्री नरेंद्र मोदी का साथ भी बखूबी मिल रहा है। जब ये दोनों नेता यानी श्री नरेंद्र मोदी और श्री राजनाथ सिंह एकजुट होकर काम कर रहे हैं तो सत्ता में पहुंचने से भारतीय जनता पार्टी को कोई रोक नहीं सकता है। कुल मिलाकर कहने का आशय यही है कि दोनों नेता अब एक दूसरे का पूरक साबित हो रहे हैं।
यदि यह जोड़ी ऐसे ही मिल-जुल कर काम करती रही तो हिन्दुस्तान के राजनैतिक इतिहास में एक बेमिसाल जोड़ी साबित होगी। एक दूसरे के लिए कोई भी यदि आधे-अधूरे मन से काम करे तो उस काम को अंजाम तक पहुंचाना बहुत मुश्किल काम होता है। यदि वही काम पूरे जोश एवं जुनून के साथ किया जाये तो उसका परिणाम बहुत सार्थक साबित होता है।
पार्टी की तरफ से श्री नरेंद्र मोदी को जो भी मंच मिल रहा है, उसका वे भरपूर फायदा उठा रहे हैं। यानी कि पार्टी एवं अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का वे कोई भी मौका छोड़ते नहीं हैं। जिस एजेंडे को वे सार्वजनिक मंचों पर उठा रहे हैं, उसे आगे बढ़ाने का काम श्री राजनाथ सिंह बेहतरीन ढंग से कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो भोपाल की रैली में श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगला चुनाव कांग्रेस की तरफ से सीबीआई लड़ेगी। श्री मोदी ने सीबीआई के बारे में जो कुछ भी कहा, उस बात को आगे बढ़ाने के लिए आज पूरी पार्टी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
यह सब इसीलिए संभव हो रहा है कि श्री राजनाथ सिंह एवं श्री नरेंद्र मोदी की सोच एक ही जैसी है। यदि दोनों नेताओं की सोच-अलग-अलग होती तो पार्टी के पक्ष में इतना बेहतरीन माहौल नहीं बन पाता। आज अगर गुजरात के शासन की बात नरेंद्र मोदी करते हैं तो उनकी बात को आगे बढ़ाने के लिए पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी हो जाती है। यह सब इसलिए हो रहा है कि श्री नरेंद्र मोदी एवं श्री राजनाथ सिंह दोनों नेताओं के रास्ते एक ही हैं। यानी कि दोनों नेता चाहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करे।
श्री नरेंद्र मोदी को पार्टी की तरफ से पीएम पद का प्रत्याशी बनवाने में पार्टी अध्यक्ष के रूप में श्री राजनाथ सिंह की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। श्री नरेंद्र मोदी को चाहे जितने लोगों का भी समर्थन रहा हो किंतु उसे पार्टी के फोरम पर संवैधानिक, सैद्धांतिक एव व्यावहारिक रूप से अमली जामा पहनाने की जिम्मेदारी पार्टी के अध्यक्ष की ही होती है।
श्री राजनाथ सिंह की दाद देनी होगी कि उन्होंने यह काम बहुत ही कुशलता पूर्वक किया है। ऐसे ही समय में एक कुशल नेतृत्व की पहचान होती है। श्री राजनाथ सिंह ने यह साबित करके दिखा दिया कि किसी भी परिस्थिति से निपटने में उनके अंदर पर्याप्त नेतृत्व क्षमता है। श्री सिंह किसी भी काम को सहज रूप से करने में सक्षम हैं।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह के बारे में कहा जाता है कि उनका नाम देश के ऐसे नेताओं में शामिल है, जिनकी कभी जुबान नहीं फिसली। यानी कि श्री राजनाथ सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी ऐसा कुछ नहीं कहा, जिससे बेवजह विवाद पैदा हो। श्री नरेंद्र मोदी एवं श्री राजनाथ सिंह के बीच जिस प्रकार का तालमेल है, उसे देखकर यही लगता है कि इन दोनों नेताओं की जोड़ी भारतीय राजनीति के इतिहास में एक ऐतिहासिक जोड़ी साबित होगी। यह जोड़ी ठीक उसी प्रकार की होगी जैसी कि अटल-आडवाणी की जोड़ी रही है। निश्चित रूप से अटल जी एवं आडवाणी जी का आशीर्वाद लेते हुए यह जोड़ी भारतीय जनता पार्टी का भविष्य उज्जवल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी।

अरूण कुमार जैन

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