आओ मिलकर इसे बनाएं एक अलग नववर्ष ……

राजनीति की उठापटक में कट्टरता का द्वंद्व
लोकतंत्र की गति हो रही धीरे- धीरे मंद
राज फिरंगी आया फिर से बांटो और राज करो
सत्ता पाकर  शासन को फिर से जंगलराज करो
नकारात्मक तत्वों ने पाया एक नया उत्कर्ष  ……..

कलम किए सिर लहराते,हाथों में लेकर खंजर
दिल दहला देने वाले हैं खौफनाक वे मंजर
तेल शक्ति गढ रही ‘न्यू इस्लामिक’ परिभाषा
छाये डर के काले बादल, बढ रही घोर  हताशा
मानवता का  हुआ क्या देखो पेशावर में हश्र…..

रात  साथ लेकर आती घना अँधेरा है
इसी चक्र में आगे आता नया सवेरा है
नए वर्ष में नई प्रतिज्ञा लेकर आओ कदम बढाएं
इस वसुधा पर मानवता का  सुंदर  सा एक दीप जलाएं
जिससे फैले सारे जग में प्रेम,शांति और हर्ष……….

आओ मिलकर इसे बनाएं एक अलग नववर्ष……..

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