इसलिए बोलता था
वह आदमी था
इसलिए खुशी में खुशी और
दुख में दुख को समझता था
वह आदमी था
इसलिए नहीं देख सकता था
टूटते हुए आदमी को
वह आदमी था
इसलिए नहीं भाग सकता था
आदमियत के चाबुक से ।
हाँ वह आदमी था
सिर्फ आदमी
उसके पास नहीं थे शब्द
ताकि रंगा जा सके
कोई कोरा कागज
और समझाया जा सके
जंगल का कानून ।
आज आदमी के साथ भी
क्यों नहीं जोड़ा जा रहा आत्मियता
उनके संरक्षण के लिए
क्यों नहीं तलाशते हो रास्ते
आज वे और उनकी अस्मिता
इतनी सस्ती क्यों हो गयी है
कि उन्हें
हाशिये पर भी जगह नहीं मिलती ।
मोतीलाल
आप जिस आदमी की बात कर रहे हैं,वह तो कब का मर चुका..