नई दिल्लीः नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्रों में बिल्डरों से घर खरीदकर फंसे लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। बिल्डरों के खिलाफ रेरा में मुकदमा डालने वाले खरीदारों के लिए वकील का इंतजाम विकास प्राधिकरण करेंगे। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी के आदेश पर गठित उच्चस्तरीय समिति ने ऐसी कई सिफारिश की हैं।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री दुर्गाशंकर मिश्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने रिपोर्ट में कहा है कि करीब तीन लाख लोग घर खरीदकर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में परेशान हैं। बड़ी संख्या में खरीदार रेरा के सामने अपने मामले उठा रहे हैं। ऐसे में विकास प्राधिकरणों को वकीलों के पैनल तैयार करके बिल्डरों के खिलाफ लड़ाई लड़ने में खरीदारों की मदद करें। समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय शहरी विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार और तीनों विकास प्राधिकरणों को भेज दी है।

खरीदारों में रुझान बढ़ेगा
समिति के सामने बड़ी संख्या में ऐसे मामले आए, जिनमें बिल्डरों ने एक ही फ्लैट कई-कई लोगों को बेच दिए हैं। समिति का मानना है कि बिल्डर और खरीदारों के बीच शुरुआत में एग्रीमेंट टू सेल (इकरारनामा) नहीं होने के कारण यह जालसाजी हुई है। समिति ने उत्तर प्रदेश सरकार से सिफारिश की है कि एग्रीमेंट टू सेल मामूली स्टांप शुल्क लेकर होना चाहिए।

अभी बुकिंग के वक्त एग्रीमेंट टू सेल करवाने के लिए खरीदारों को संपत्ति की कीमत का छह फीसदी स्टांप शुल्क देना पड़ता है। इस कारण खरीदार फ्लैट पर कब्जा मिलने के बाद सीधे रजिस्ट्री करवाते हैं। बुकिंग, कब्जा और रजिस्ट्री के बीच खरीदारों को कम से कम तीन वर्ष का समय मिल जाता है, जिससे बिल्डर को मनमानी करने की खुली छूट मिल जाती है। एग्रीमेंट टू सेल कम खर्च में होगा तो खरीदारों में इसके प्रति रुझान बढ़ेगा।

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना के अनुसार, करने के लिए रिपोर्ट संबंधित विभागों और विकास प्राधिकरणों को भेज दी गई है। शीघ्र जरूरी बदलाव किए जाएंगे।

बिल्डरों को भी राहत देने की सिफारिश
– उत्तर प्रदेश सरकार छह महीनों के लिए प्रोजेक्ट सेटेंलमेंट प्लान दोबारा लाने की इजाजत तीनों विकास प्राधिकरणों को दे।.

– प्रोजेक्ट सेटेंलमेंट प्लान में बिल्डर को अपने थमे पड़े प्रोजेक्ट दोबारा शुरू करने के लिए कॉ-डेवपलर लाने की इजाजत होगी।.

– प्रोजेक्ट सेटेंलमेंट प्लान में विकास प्राधिकरण बिल्डर से अविक्रित भूमि और एफएआर लेकर किसी अन्य बिल्डर को आवंटित कर सकते हैं.

– इस सुविधा का लाभ लेने के लिए बिल्डरों को शपथ पत्र देना होगा कि वह परियोजना को तीन वर्ष में पूरा करेगा। अगर ऐसा करने में विफल होगा तो सारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी।.

– अदालतों के स्टे, आवंटन के बाद कब्जा नहीं मिलने, भूखंड तक सड़क नहीं होने या लीज डीड में देरी का समय जीरो पीरियड माना जाए। ब्याज और पेनल्टी नहीं लिए जाएं।