नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि शांति और प्रेम के संदेश के माध्यम से भारत तथा पाकिस्तान के बीच अविश्वास को मिटाया जा सकता है। वह बुधवार को पाकिस्तान के करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के गुरदासपुर जिला स्थित डेरा बाबा नानक तीर्थस्थल से जोड़ने वाले गलियारे की आधारशिला रखे जाने के समारोह में बोल रही थीं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए दोनों ओर से बिना वीजा आवागमन के वास्ते गलियारे की आधारशिला रखी। करतारपुर साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के पार स्थित है और डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूर है। सिख गुरु ने 1522 में इस गुरुद्वारे की स्थापना की थी। प्रथम गुरुद्वारा कहा जाने वाला गुरुद्वारा करतारपुर साहिब यहीं बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक देव ने यहीं अंतिम सांस ली थी।

गुरु नानक देव की 550वीं जयंती अगले साल है। भारत से हर साल हजारों सिख श्रद्धालु गुरु नानक जयंती पर पाकिस्तान की यात्रा करते हैं। भारत ने करीब 20 साल पहले इस गलियारे के लिए पाकिस्तान को प्रस्ताव दिया था। कार्यक्रम में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय मंत्रियों हरसिमरत कौर बादल और हरदीप सिंह पुरी ने किया। पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू भी कार्यक्रम में शामिल हुए। पिछले हफ्ते, पाकिस्तान और भारत ने घोषणा की कि वे अपने-अपने क्षेत्र में गलियारा विकसित करेंगे।

हरसिमरत ने कहा, ”यदि बर्लिन की दीवार गिर सकती है तो गुरु नानक द्वारा दिए गए शांति एवं प्रेम के संदेश से पड़ोसी देशों-भारत और पाकिस्तान के बीच अविश्वास भी दूर हो सकता है। उन्होंने कहा कि गुरु नानक ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष महज चार किलोमीटर दूर सीमा के दूसरी ओर बिताए। इस अवसर पर भावुक हुईं केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”गुरु नानक ने करतारपुर में अपने जीवन के 18 साल गुजारे और शांति एवं प्रेम के संदेश का प्रसार किया। आज का दिन केवल सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक नहीं, बल्कि सभी लोगों तथा भारत और पाकिस्तान की सरकारों के लिए भी ऐतिहासिक है।

उन्होंने कहा, ”हम बहुत करीब, लेकिन 70 साल से बहुत दूर रहे हैं। हरसिमरत ने कहा, ”आज दर्जनों सिख पहली बार यात्रा पर हैं। यहां (पाकिस्तान में) मेरा कोई मित्र, कोई रिश्तेदार नहीं हैं मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यहां आऊंगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”जब हमने भारतीय पंजाब में (गलियारे के लिए) आधारशिला रखी तो मैंने वहां गलियारे को हकीकत बनते देखा और अब मैं इसे यहां देख रही हूं। आज यह गलियारा हर किसी को एकसाथ लेकर आएगा…यह दोनों देशों के लिए खुशी और शांति लाएगा। मैं आपसे गुरु नानक पर डाक टिकट या सिक्का जारी करने का आग्रह करती हूं।