नई दिल्लीः एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल 2018 का आयोजन 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक काठमांडू में हो रहा है जिसमें दुनिया के विभिन्न देशों के प्रमुख नेता, सांसद तथा नीति निर्माण से जुड़े विशेषज्ञ आदि हिस्सा लेंगे और वर्तमान समय की चुनौतियों पर मंथन करेंगे।

शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय ‘हमारे समय की महत्वपूर्ण चुनौतियां: स्वतंत्रता, साझी समृद्धि और सार्वभौम मूल्य’ है। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल का आयोजन यूर्निवर्सल पीस फेडेरेशन कर रहा है जो दुनिया के कई देशों में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के साथ मिलकर काम करता है।

शिखर सम्मेलन के दौरान कई परिचर्चा सत्र होंगे जिसमें शांति, विकास, सुशासन एवं सांसदों की भूमिका के अलावा आस्था आधारित संगठनों एवं नागरिक संगठनों की भूमिका और मीडिया की भूमिका जैसे विषय शामिल हैं । सत्र के दौरान दुनिया में शांति स्थापना के लिये हो रही पहल तथा परिवार एवं विवाह की व्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल पर भी चर्चा होगी। यूनिर्वसल पीस फेडेरेशन की विज्ञप्ति में कहा गया है कि सम्मेलन के दौरान जलवायु परिर्वतन पर विशेष घोषणापत्र को अंगीकार किया जायेगा।

इस सम्मेलन से नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल, यूनिर्वसल पीस फेडेरेशन के प्रमुख डॉ थामस जी वाल्स, फिलिपीन के हाउस आफ रिप्रेजेंटेटिव के पूर्व स्वीकार जोस डी वेनेलिया, भारत से पूर्वोत्तर क्षेत्र से राज्यसभा सदस्य भुवनेश्वर कालिता जुड़े हुए हैं। सम्मेलन में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा एवं कई अन्य नेताओं के हिस्सा लेने का कार्यक्रम है।