नई दिल्लीः केंद्र की रोक के बाद भी गाजियाबाद की बायोमेड कंपनी से बनी संक्रमित पोलियो वैक्सीन देश के 10 राज्यों के एक करोड़ बच्चों तक पहुंच गई। 10 सितम्बर को केंद्र से मिले निर्देश के बाद भी राज्य सरकारें पूरी तरह से रोक नहीं लगा पाईं। यूपी में यह सीएचसी-पीएचसी व अन्य सेंटरों तक सप्लाई हो गई और बच्चों को ड्रॉप पिलाई जा रही थी। अब पूरे राज्य से इन दवाओं को वापस मंगाया जा रहा है। मिर्जापुर के दो सेंपल से इसकी पुष्टि हुई थी। हालांकि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि यह वैक्सीन से संक्रमण का खतरा नहीं है।

पोलियो वैक्सीन में पोलियो वायरस टाइप-2 मिलने से सबसे अधिक हड़कंप उत्तर प्रदेश में मचा है। अब जबकि प्रदेश में इस वैक्सीन के प्रयोग पर रोक लग गई है लेकिन अब भी केंद्र और राज्य की एजेंसियां जांच में जुटी हैं। सितंबर में मिर्जापुर के कई बच्चों में टाइप-2 वायरस मिला था। मिर्जापुर में पांच अगस्त को पोलियो की वैक्सीन पिलाई गई थी। सात अगस्त को एक बच्चे के पैरों में दिक्कत आई तो बच्चे के शौच के नमूने की जाँच कराई गई। इसमें वायरस का पता चला। सितम्बर में ही केंद्रीय औषधि विभाग ने गाज़ीपुर में की जांच की।

इस जांच में भी पी-2 वायरस की पुष्टि हुई। यही नहीं इस वायरस से वाराणसी, मिर्जापुर, गाज़ीपुर, मऊ, इलाहाबाद, जौनपुर सहित अन्य जिलों के भी बच्चे प्रभावित थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद, मेरठ भी प्रभावित बच्चों के सेंपल मिले। लगातार कई मामले मिलने के बाद केंद्र और राज्य की एजेंसियों ने कई वैक्सीन को जांच के लिए भेजा। गाजियाबाद की कंपनी की वैक्सीन में पी-2 वायरस की पुष्टि हुई और केंद्रीय प्रयोगशाला ने वैक्सीन की गुणवत्ता को खराब बताते हुए इस्तेमाल पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए।